शेषाद्रिपुरम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जिसके बाद उन्हें आगे की पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में ले लिया गया। शुरुआती जांच से पता चला है कि आरोपियों का लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से कोई वास्तविक संबंध नहीं है। वे एक साथ आए थे और गैंगस्टर के नाम का झूठा इस्तेमाल करके लोगों में डर पैदा करके जबरन वसूली की साजिश रची थी।
तिहाड़ जेल में तीन आरोपियों के संपर्क में आया रफीक
पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु के मावली निवासी मोहम्मद रफीक पहले एक अन्य मामले में दिल्ली की जेल में बंद था। तिहाड़ जेल में रहने के दौरान रफीक अन्य तीन आरोपियों के संपर्क में आया और उनके बीच दोस्ती हो गई। जेल से रिहा होने के बाद गिरोह ने पैसे ऐंठने की योजना बनाई। उन्होंने लोगों को डराने के लिए लॉरेंस बिश्नोई से जुड़े होने की आड़ में काम करने का फैसला किया। हालांकि, बेंगलुरु में उनकी कोशिश नाकाम रही और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
बड़े बिजनेसमैन से मांग रहे थे फिरौती
आरोपियों ने बेंगलुरु के एक उद्योगपति को धमकाने और पैसे ऐंठने की कोशिश की थी। पीड़ित ने पुलिस से संपर्क किया, जिसने मामले को गंभीरता से लिया और तलाशी अभियान शुरू किया। जबरन वसूली के कॉल के बाद से बेंगलुरु पुलिस हाई अलर्ट पर है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस आयुक्त ने शहर भर के लॉज की गहन जांच के आदेश दिए। पहले से यह संदेह था कि आरोपी दूसरे राज्यों से आए थे और लॉज में ठहरे थे, इसलिए सत्यापन अभियान के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए। पुलिस टीमें अब प्रतिदिन लॉज के अतिथि रजिस्टरों की जांच कर रही हैं।
इसके अलावा, अधिकारी संदिग्ध मामलों में रहने वालों की पहचान सत्यापित करने के लिए कमरों का दौरा कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि हाल ही में बेंगलुरु आए और लंबे समय से रह रहे लोगों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।