केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने कहा कि एक के बाद एक तीन चरणों को पूरा कर ही सायबर विशेषज्ञ की नियुक्ति की जा सकती है। वकील मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि पहले चरण में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होगी। अन्य दो चरण पूरे होने बाद नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सितंबर 2025 तक का समय लगेगा।
इस पर चीफ जस्टिस ने केंद्र से कहा कि, समाज की भलाई के लिए आपने एक संस्था बनाई है, अगर उसके हेड की नियुक्ति में इतनी जटिलताएं होंगी तो फिर आगे क्या होगा? केंद्र सरकार की ओर से प्रक्रियाओं को पूरा होने में दो महीने का समय लगने की जानकारी दी गई। इस पर कोर्ट ने और अधिक समय नहीं देने की बात कहते हुए कहा कि हम आशा और विश्वास करते हैं कि जल्द नियुक्ति की जाएगी। मामले में अगली सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 को रखी गई है।
कोर्ट ने जल्द नियुक्ति के दिए निर्देश
पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन के साथ ही केंद्र सरकार की ओर से बताया गया था कि राज्य के अनुरोध पर केंद्र सरकार की एक टीम ने साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला का निरीक्षण किया और उन्होंने कुछ कमियां बताईं थी। टीम द्वारा बताई गई कमियों को दूर कर दिया गया है और केंद्र से एक्सपर्ट की नियुक्ति का अनुरोध किया गया है। वही तीन चरण की प्रक्रिया में से एक चरण को पूरा किया गया है। बचे हुए दो चरणों को पूरा करने के बाद नोटिफिकेशन जारी कर प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
यह है मामला
शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। पहले हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि देश भर में 16 जगह पर एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है। यह नियुक्ति केंद्र सरकार के माध्यम से की जाती है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में किसी एक्सपर्ट की नियुक्ति नहीं हुई है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई परीक्षक राज्य में नहीं है, इस पद पर नियुक्ति की जाए। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है। साइबर अपराध हो रहे हैं, इसलिए ऐसे एक्सपर्ट की नियुक्ति बहुत जरूरी है। गंभीरता को समझकर तत्काल निर्णय लें।