नेमप्लेट आदेश पर उठाए सवाल, कहा- खाद्य विभाग का मामला है
दानिश अली ने सरकार द्वारा सावन माह में स्ट्रीट फूड वेंडर्स को नेमप्लेट लगाने के कथित आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह आदेश खाद्य सुरक्षा विभाग का विषय है और केवल लाइसेंस होल्डर्स पर लागू होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला अल्पसंख्यक और गरीब तबके के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का संकेत है।
स्कूलों का विलय गरीब विरोधी कदम
पूर्व सांसद ने स्कूलों के विलय को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह फैसला सरकारी स्कूलों को खत्म करने और गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की दिशा में एक खतरनाक कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास कर रही है, जिससे शिक्षा आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएगी। “सरकार नहीं चाहती कि गरीब का बच्चा पढ़े और सवाल करे। इसलिए स्कूलों को एक करके उन्हें खत्म किया जा रहा है।” दानिश अली ने आगे कहा कि जो लोग सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं, उनके खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।
भाजपा हर मोर्चे पर फेल, सांप्रदायिकता का सहारा ले रही
पूर्व सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है लेकिन सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे रही है।
नेताओं की उपस्थिति और समर्थन
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के कई स्थानीय नेता मौजूद रहे। इनमें कांग्रेस शहर अध्यक्ष शिव किशोर गौतम, पूर्व शहर अध्यक्ष तौकीर अहमद, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी मुशीर खां तरीन, जिला उपाध्यक्ष अशरफ़ अंसारी समेत दर्जनों नेता और कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने दानिश अली के बयानों का समर्थन किया और भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध जताया। पूर्व सांसद दानिश अली के बयान एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में गर्मी ला सकते हैं। स्कूल विलय और नेमप्लेट विवाद को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस गरीबों, दलितों और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई जारी रखेगी।