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चातुर्मास: शिविर, अनुष्ठान और संस्कारों के माध्यम से आत्मिक और सामाजिक विकास पर जोर

साध्वी संयमगुणाश्री का मानना है कि चातुर्मास केवल धार्मिक तपस्या का समय नहीं, बल्कि यह आत्मविकास, संस्कार-संप्रेषण और समाज के हर वर्ग को जोडऩे का उपयुक्त अवसर है। राजस्थान पत्रिका के साथ एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने विविध विषयों पर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीJul 08, 2025 / 07:01 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

साध्वी संयमगुणाश्री, साध्वी खंतिगुणाश्री, साध्वी मल्लीगुणाश्री एवं साध्वी चैत्यगुणाश्री आदि ठाणा-4

साध्वी संयमगुणाश्री, साध्वी खंतिगुणाश्री, साध्वी मल्लीगुणाश्री एवं साध्वी चैत्यगुणाश्री आदि ठाणा-4

साध्वी संयमगुणाश्री, साध्वी खंतिगुणाश्री, साध्वी मल्लीगुणाश्री एवं साध्वी चैत्यगुणाश्री आदि ठाणा-4 चातुर्मासार्थ हुब्बल्ली में विराजित है। साध्वी संयमगुणाश्री ने बताया कि इस बार के चातुर्मास में बच्चों और युवाओं को संस्कारित करने के लिए कई सार्थक योजनाएं बनाई गई हैं। विशेष शिविर, अनुष्ठान और ग्रंथ अध्ययन जैसे विविध आयोजन जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा देंगे। साध्वी संयमगुणाश्री का यह संदेश आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है जब व्यक्ति को बाहरी दिखावे से अधिक आत्मविकास, संयम और संस्कार की आवश्यकता है। चातुर्मास इस दिशा में एक अनमोल अवसर है जिसे संपूर्ण श्रद्धा और लगन से अपनाना चाहिए।
प्रश्न: इस चातुर्मास में बच्चों और युवाओं के लिए क्या विशेष आयोजन किए जाएंगे?
साध्वी:
हर रविवार सुबह 10:30 से 11:30 बजे तक बच्चों के लिए विशेष शिविर होगा। इसमें धर्म, संस्कार और व्यक्तित्व विकास जैसे विषयों पर सरल और प्रभावशाली ढंग से संवाद होगा। युवाओं को भी इससे जोड़ा जाएगा ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़ें और सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं।
प्रश्न: क्या कोई धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित होगा?
साध्वी:
हर शनिवार सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक मुनि सुव्रत स्वामी का अनुष्ठान रखा गया है। इसके अंतर्गत श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र प्रदान किया जाएगा और नौ इंच की प्रतिमा की पूजा विधिवत करवाई जाएगी। साथ ही 108 बार मंत्र जाप भी होगा।
प्रश्न: बच्चों के लिए कोई विशेष नियम प्रणाली भी बनाई गई है?
साध्वी:
बच्चों को एक “नियम कार्ड” दिया जाएगा। इसमें रात्रि भोजन त्याग, प्रभु पूजा, नवकारसी, चौविहार, एकासना, बियासना आदि जैसे धार्मिक अनुशासनों को शामिल किया गया है। यदि बच्चों के माता-पिता व्याख्यान में सम्मिलित होते हैं तो बच्चों को अंक दिए जाएंगे। यह नियम पालन 45 दिनों तक चलेगा।
प्रश्न: व्याख्यानों का समाज पर क्या प्रभाव होता है?
साध्वी:
व्याख्यान केवल सुनने के लिए नहीं होते, बल्कि जीवन में उतारने के लिए होते हैं। इससे व्यक्ति को समझ मिलती है कि जैन धर्म क्या है, भगवान की वाणी का क्या महत्व है और आध्यात्मिकता किस प्रकार जीवन को दिशा देती है।
प्रश्न: इस चातुर्मास में ग्रंथ अध्ययन की भी कोई योजना है?
साध्वी:
शांत सुधारस ग्रंथ का अध्ययन शुरू किया जाएगा, जो पूरे चार महीने चलेगा। यह आत्मचिंतन और आत्मिक शुद्धि का माध्यम बनेगा।

प्रश्न: वर्तमान जीवनशैली को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी?
साध्वी:
हमारे खान-पान में जो बदलाव आया है, उसका असर सीधा स्वास्थ्य पर पड़ा है। बाहर का भोजन और असंतुलित दिनचर्या युवाओं को छोटी उम्र में ही रोगग्रस्त बना रही है। जैसा अन्न वैसा मन , इसीलिए “होम टू होटल और होटल टू हॉस्पिटल” की स्थिति बन रही है।
प्रश्न: आज के समाज में सहनशक्ति की कमी क्यों देखी जा रही है?
साध्वी:
आज हर व्यक्ति स्वतंत्रता चाहता है और खुद पर निर्भर रहना चाहता है, लेकिन इस दौड़ में सहनशीलता घटती जा रही है। संयम और सहिष्णुता की शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न: युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
साध्वी:
मेरा आग्रह है कि युवा जैनिज्म को अपनाएं और उसे प्रमोट करें। जैन संस्कृति, शाकाहार और अहिंसा का प्रचार करें। यही हमारे जीवन और समाज को दिशा देगा।

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