साध्वी: हर रविवार सुबह 10:30 से 11:30 बजे तक बच्चों के लिए विशेष शिविर होगा। इसमें धर्म, संस्कार और व्यक्तित्व विकास जैसे विषयों पर सरल और प्रभावशाली ढंग से संवाद होगा। युवाओं को भी इससे जोड़ा जाएगा ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़ें और सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं।
साध्वी: हर शनिवार सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक मुनि सुव्रत स्वामी का अनुष्ठान रखा गया है। इसके अंतर्गत श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र प्रदान किया जाएगा और नौ इंच की प्रतिमा की पूजा विधिवत करवाई जाएगी। साथ ही 108 बार मंत्र जाप भी होगा।
साध्वी: बच्चों को एक “नियम कार्ड” दिया जाएगा। इसमें रात्रि भोजन त्याग, प्रभु पूजा, नवकारसी, चौविहार, एकासना, बियासना आदि जैसे धार्मिक अनुशासनों को शामिल किया गया है। यदि बच्चों के माता-पिता व्याख्यान में सम्मिलित होते हैं तो बच्चों को अंक दिए जाएंगे। यह नियम पालन 45 दिनों तक चलेगा।
साध्वी: व्याख्यान केवल सुनने के लिए नहीं होते, बल्कि जीवन में उतारने के लिए होते हैं। इससे व्यक्ति को समझ मिलती है कि जैन धर्म क्या है, भगवान की वाणी का क्या महत्व है और आध्यात्मिकता किस प्रकार जीवन को दिशा देती है।
साध्वी: शांत सुधारस ग्रंथ का अध्ययन शुरू किया जाएगा, जो पूरे चार महीने चलेगा। यह आत्मचिंतन और आत्मिक शुद्धि का माध्यम बनेगा। प्रश्न: वर्तमान जीवनशैली को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी?
साध्वी: हमारे खान-पान में जो बदलाव आया है, उसका असर सीधा स्वास्थ्य पर पड़ा है। बाहर का भोजन और असंतुलित दिनचर्या युवाओं को छोटी उम्र में ही रोगग्रस्त बना रही है। जैसा अन्न वैसा मन , इसीलिए “होम टू होटल और होटल टू हॉस्पिटल” की स्थिति बन रही है।
साध्वी: आज हर व्यक्ति स्वतंत्रता चाहता है और खुद पर निर्भर रहना चाहता है, लेकिन इस दौड़ में सहनशीलता घटती जा रही है। संयम और सहिष्णुता की शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
साध्वी: मेरा आग्रह है कि युवा जैनिज्म को अपनाएं और उसे प्रमोट करें। जैन संस्कृति, शाकाहार और अहिंसा का प्रचार करें। यही हमारे जीवन और समाज को दिशा देगा।