scriptRajasthan: ‘सरिस्का में हुआ 500 करोड़ का भ्रष्टाचार’, ज्ञानदेव आहुजा ने केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव पर लगाए आरोप | Former MLA Gyandev Ahuja accused Union Minister Bhupendra Yadav of corruption in Sariska Tiger Reserve | Patrika News
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Rajasthan: ‘सरिस्का में हुआ 500 करोड़ का भ्रष्टाचार’, ज्ञानदेव आहुजा ने केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव पर लगाए आरोप

Rajasthan News: अलवर के रामगढ़ से पूर्व बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) क्षेत्र को लेकर बड़ा बयान दिया है।

अलवरJul 15, 2025 / 03:06 pm

Nirmal Pareek

Former MLA Gyandev Ahuja

पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहुजा, फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan News: अलवर के रामगढ़ से पूर्व बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) क्षेत्र को लेकर बड़ा बयान दिया है। आहूजा ने सोमवार को एक प्रेसवार्ता में आरोप लगाया कि सरिस्का सीटीएच का नया ड्राफ्ट खान और होटलों मालिकों को लाभ देने वाला है। इसमें 100 से लेकर 500 करोड़ रुपए तक का घोटाला हुआ है।
उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और वन राज्यमंत्री संजय शर्मा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ने सरिस्का के सीटीएच का दायरा बदलवाने के लिए यह खेल किया। सीटीएच का एरिया बढ़ाया नहीं गया है। केवल बंद खानों को लाभ देने की योजना है। इसके सबूत समय आने पर दे दूंगा।

जंगल को खोखला करने की साजिश

ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि अलवर तीन हिस्सों में बंट गया है। अलवर के उद्योग दूसरे जिलों में चले गए। अलवर के पास सिलीसेढ़, सरिस्का, तालवृक्ष आदि पर्यटन स्थल बचे हैं, लेकिन सरिस्का व सिलीसेढ़ को उजाड़ने पर नेता लगे हुए हैं। सरिस्का सीटीएच के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया गया है।

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उन्होंने कहा कि सीटीएच की सीमाएं बदलकर जंगलों को खोखला किया जा रहा है। यह वन्यजीवों के लिए खतरा है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। मालूम हो कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद गंगाजल छिड़कने से उपजे विवाद पर भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से बाहर कर दिया था।

क्या होता है क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट?

गौरतलब है कि अभयारण्यों का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बाघों की आबादी के संरक्षण और वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसे ‘कोर क्षेत्र’ के रूप में भी जाना जाता है। यहां बाघों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। सीटीएच को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत अधिसूचित किया जाता है, ताकि बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखा जाए और उनकी प्रजाति के संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।

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