उदारवादी जजों ने जताई कड़ी आपत्ति
इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के तीन उदारवादी जजों सोनिया सोतोमयोर, एलेना कागन और केतनजी ब्राउन जैक्सन ने असहमति जताई। न्यायमूर्ति सोटोमयोर ने इस फैसले को “संविधान के लिए खतरनाक” बताया और कहा कि इससे राष्ट्रपति को किसी विभाग को कानून के तहत जरूरी स्टाफ से खाली करने की छूट मिल गई है।
ट्रंप को मिला संघीय कर्मचारियों की कटौती का समर्थन
यह फैसला उस पिछले सप्ताह आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी बल देता है जिसमें ट्रंप को संघीय एजेंसियों में कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती करने की अनुमति मिली थी। कोर्ट ने पहले यह नहीं बताया था कि व्यक्तिगत एजेंसी को खत्म करना वैध है या नहीं, लेकिन अब इससे ट्रंप को अपनी नीतियों पर आगे बढ़ने की कानूनी छूट मिल गई है।
शिक्षा सचिव का बयान – “राष्ट्रपति को है अंतिम अधिकार”
शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के पास एजेंसियों के संगठन, स्टाफिंग और संचालन से जुड़े सभी बड़े फैसले लेने का पूरा हक है। उन्होंने बताया कि विभाग में 50% स्टाफ कटौती की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
शिक्षा विभाग बंद करने का आदेश जारी
मैकमोहन की घोषणा के कुछ दिन बाद, 20 मार्च को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया जिसमें शिक्षा विभाग को “कानून द्वारा स्वीकृत सीमा तक” पूरी तरह से बंद करने के निर्देश दिए गए। इस कदम को लेकरएक डेमोक्रेटिक शासित राज्यों और दूसरा स्कूलों और यूनियनों की ओर से दो बड़े मुकदमे चल रहे हैं ।
स्कूल यूनियनों और राज्यों ने जताया विरोध
स्कूलों और शिक्षा से जुड़ी यूनियनों का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठन “डेमोक्रेसी फॉरवर्ड” की अध्यक्ष स्काई पेरीमैन ने फैसले को बच्चों की शिक्षा के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना स्पष्ट कारण बताए देश की शिक्षा व्यवस्था को गंभीर झटका दिया है।
निचली अदालत ने पहले रोक लगाई थी
इससे पहले बोस्टन के जिला न्यायाधीश म्योंग जौन ने फैसला सुनाया था कि कर्मचारियों की कटौती से शिक्षा विभाग अपने जरूरी कार्यों को पूरा नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा था कि अगर विभाग के पास जरूरी स्टाफ नहीं रहेगा तो वह विभाग के रूप में काम ही नहीं कर सकता।
शिक्षा के बाद अब अन्य एजेंसियों की बारी ?
यह मामला ट्रंप के उन कई प्रयासों का हिस्सा है जिनमें वे कांग्रेस द्वारा स्थापित विभिन्न संघीय संस्थाओं को समाप्त करना चाहते हैं। इसमें उपभोक्ता वित्तीय सुरक्षा ब्यूरो, USAID (अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी), और यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस शामिल हैं।