शिकायत के बाद बीएमसी प्रबंधन हरकत में आया और मामले की जांच की तो पता चला कि यह दवा सरकारी संस्था राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा दी गई थी। फिलहाल मामले की जांच की बात कही जा रही है।
एक्सपायर हो चुकी थी दवा
दरअसल, पगारा निवासी महिला 25 जून को सामान्य बीमारी की जांच के लिए बीएमसी गई थी। डॉक्टर ने महिला की जांच के बाद दवा लिखी और अस्पताल से महिला को नि:शुल्क दवा दी गई। महिला ने घर आकर जब दवा खाने के लिए पैकेट उठाया तो महिला ने देखा तो एक्सपायरी डेट मार्च 2025 है। दवा को एक्सपायर हुए 3 माह हो चुके थे। महिला के बेटे ने फोन पर जानकारी दी है कि शिकायत वापिस करने के लिए बीएमसी में कार्यरत सरकारी संस्था की महिला कर्मचारी उन्हें बार-बार फोन लगाकर शिकायत वापिस लेने की बात कह रहीं हैं। वह भी मान रहीं हैं कि उनकी संस्था से गलती हुई है। महिला के परिजनों ने कहा कि हमारा उद्देश्य यह नहीं है कि किसी कर्मचारी को सजा मिले, बल्कि यह प्रबंधन को सोचना चाहिए की मेडिकल कॉलेज में अक्सर गरीब तबके के लोग आते हैं, इनकी जान से खिलवाड़ बंद होना चाहिए।
इसके पहले बीएमसी में कम पावर की एंटीबायोटिक सहित सरकारी सप्लाई में आने वाली दवाओं की क्वालिटी पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। बारिश में मरीजों के घाव भरने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता होती है, लेकिन आज भी गायनिक, ऑर्थो व सर्जरी के आधा दर्जन वार्डों में टांके पकने से परेशान कई मरीज एक-एक सप्ताह से भर्ती बने हुए हैं।
शिकायत के बाद हरकत में प्रबंधन
छत्तीसगढ़ में कार्यरत महिला के बेटे को जब इसकी जानकारी लगी तो उसने सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर बीएमसी प्रबंधन के खिलाफ शिकायत कर दी। शिकायत के बाद अधिकारी हरकत में आए और जानकारी ली गई तो पता चला कि महिलाओं के लिए कार्यरत सरकारी संस्था नाको से उक्त दवा दी गई है। अब प्रबंधन जानकारी ले रहा है कि दवा कब दी गई है, इसके पहले कितने मरीजों को वितरित की गई है। बीएमसी प्रबंधन का इस मामले में कोई लेनादेना नही है, बीएमसी में कार्यरत नाको संस्था से यह दवा वितरित की गई थी, संस्था से जानकारी ले रहे हैं कि यह दवा कब दी थी, अभी तक कितने मरीजों को वितरित की गई है।- डॉ. विशाल भदकारिया, मीडिया प्रभारी बीएमसी।