एनएचएम के बैनर तले कार्यरत ये कर्मचारी बीते दो दशकों से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाते हैं। बावजूद इसके, ग्रेड पे निर्धारण, पब्लिक हेल्थ कैडर का गठन, नौकरी में स्थायित्व, सीआर (चरित्र प्रमाण पत्र) सुधार, और वेतन विसंगति जैसी बुनियादी मांगें अब तक अधूरी हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि मौजूदा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में ’’
मोदी की गारंटी’’ के तहत संविदा कर्मियों के हितों की रक्षा का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के एक वर्ष बाद भी ये वादे केवल कागज़ों तक ही सीमित हैं। इस मुद्दे को लेकर कर्मचारियों ने अब तक 100 से अधिक बार ज्ञापन सौंपे, दो दिवसीय प्रदर्शन, और एक दिवसीय ध्यानाकर्षण आंदोलन भी किया, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर अविलंब कार्रवाई नहीं होती, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन को मजबूर होंगे। इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं, जिसकी जिमेदारी पूरी तरह से सरकार और प्रशासन की होगी।