Waterfalls in Chhattisgarh: फरसबेड़ा जलप्रपात पहाड़ों में छिपा हुआ है
अबूझमाड़ क्षेत्र अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और रहस्यमयी भूगोल के कारण देश-विदेश में जाना जाता है, लेकिन इसके कई खूबसूरत स्थल आज भी मुख्यधारा से कटे हुए हैं। ऐसा ही एक अनछुआ प्राकृतिक सौंदर्य है – फरसबेड़ा जलप्रपात, जो अबूझमाड़ की घने जंगलों और पहाड़ों में छिपा हुआ है। यह जलप्रपात (Waterfalls in Chhattisgarh) मानसून के समय अपनी पूरी भव्यता में होता है।100 फीट की ऊंचाई से गिरता है जलधारा
तरलामरका पहाड़ी से निकलने वाली ओरवेर नदी की जलधारा जब लगभग 100 फीट की ऊंचाई से दूध जैसी सफेदी में गिरती है, तो दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। स्थानीय लोग इसे ‘ओरवेर झरना’ के नाम से जानते हैं। लेकिन यह प्राकृतिक धरोहर आज भी पर्यटकों की नजरों से ओझल है। मुख्य कारण है – क्षेत्र में नक्सल प्रभाव और बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
झरना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग
स्थानीय आदिवासी बताते हैं कि यदि इस क्षेत्र तक सड़क और सुरक्षा की व्यवस्था हो जाए, तो यह झरना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। यह न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार देगा, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को भी नया मंच मिलेगा। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और पर्यटन विभाग इस ओर ध्यान दे और इस क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए ठोस प्रयास करे। यदि सुरक्षा और आधारभूत ढांचा मजबूत किया जाए, तो अबूझमाड़ का यह अनमोल झरना देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। फिलहाल, यह सौंदर्य अबूझमाड़ के जंगलों में ही कैद होकर रह गया है।नक्सली दहशत भी कारण
प्राकृतिक सौदर्य से भरपूर फरसबेड़ा जलप्रपात लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर मनमोह लेता है। इस जगह जो भी जाता है वो इस झरने को निहारते मन नहीं भर पाता है। लेंकिन नक्सली दशहत के चलते दर्शनीय स्थल पर्यटकों से अछूता रह गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में आवागमन के लिए सड़क बन जाती है तो इस जलप्रपात को देखने के लिए देश से लेकर विदेश तक के लोग पहुंचते। इसे संवारने के लिए कोई पहल की जाती है तो यह एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ऐतिहासिकता भी
फरसबेड़ा न सिर्फ प्राकृतिक रूप से सुंदर है, बल्कि यह क्षेत्र स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है। यहां के ग्रामीण त्योहारों और विशेष अवसरों पर इस झरने के पास आकर सामूहिक पिकनिक मनाते हैं।फिल्म बाहुबली-2 की होनी थी शूटिंग
- डायरेक्टर एसएस राजामौली और प्रोड्यूसर अमित मासुरकर अपनी फिल्म बाहुबली-2 में झरने के सीन के लिए हांदावाड़ा वाटरफॉल को चुना था।
- बताया जाता है कि इसे देखने के लिए डायरेक्टर ने अपनी एक टीम भी बस्तर भेजी थी। टीम ने हांदावाड़ा जाकर इसकी तस्वीरें खींची और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की।
- बॉलीवुड की नजरों में हांदावाड़ा के वाटरफॉल (Waterfalls in Chhattisgarh) की खूबसूरती का जादू छा गया था, लेकिन पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सुरक्षा और परमिशन न मिलने की वजह से यहां शूटिंग कैंसल करनी पड़ी।
- दरअसल, यह वाटरफॉल घोर नक्सली इलाके में है। इस जगह पर नक्सलियों का ऐसा आतंक है कि यह खूबसूरत जगह दुनिया की नजरों से दूर है। ये झरना जितना हसीन है, वहां तक पहुंचना उतना ही कठिन है।
हांदावाड़ा जलप्रपात के बारे में कुछ जानकारी
स्थान: नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में, धारा डोंगरी पहाड़ी पर।ऊंचाई: लगभग 350 फीट।
विशेषताएँ: घने जंगल, विशाल आकार, और 500 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी।
पहुंचना: दंतेवाड़ा जिले के गीदम से छिंदनार होते हुए पहुंचा जा सकता है, फिर हांदावाड़ा गांव से 6 किलोमीटर पैदल चलना होगा।
सर्वोत्तम समय: नवंबर से फरवरी के बीच।
अन्य नाम: बाहुबली जलप्रपात, छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध झरना।
शूटिंग: फिल्म “बाहुबली-2” की शूटिंग के लिए भी इस झरने को चुना गया था, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण शूटिंग नहीं हो पाई।
