डिजिटल अरेस्ट कर रिटायर्ड वैज्ञानिक को बनाया शिकार
3 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रिटायर्ड वैज्ञानिक को किया गया। इस दौरान 1.29 करोड़ रुपये कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट में ही मंगाए गए। साइबर जालसाजों के गिरोह का मुख्य सदस्य लखनऊ स्थित श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का डायरेक्टर ही है। डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर फ्रॉड के करोड़ों रुपये कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट में मंगाए जा रहे थे। कंपनी डायरेक्टर को क्रिप्टो करेंसी में ऐसा करने के लिए कमिशन दिया जाता था। मामले में आरोपी डायरेक्टर और साइबर फ्रॉड के रुपये मंगाने वाले एक अन्य अकाउंट होल्डर को STF ने गिरफ्तार किया है। साइबर फ्रॉड के रुपयों का मैनेजमेंट श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर का डायरेक्टर ही करता था।
कैसे की शातिर बदमाशों ने ठगी
दरअसल, शुकदेव नन्दी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड वैज्ञानिक हैं। उनके पास WhatsApp कॉल आई। बेंगलुरू पुलिस का लोगो WhatsApp अकाउंट के प्रोफाइल पिक्चर में लगा था। रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नन्दी से कॉल पर बदमाश ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर SIM ली गई है। इस SIM का इस्तेमाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग (Human Trafficking) और ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud)के लिए किया जा रहा है।
जेल जाने का डर दिखाकर करवाए 1।29 करोड़ रुपये ट्रांसफर
बदमाश ने शुकदेव नन्दी से कहा कि उनके नाम से खुले बैंक अकाउंट में रुपयों का गलत तरीके से लेनदेन हो रहा है। इसके बाद एक कॉल और नन्दी के पास आई। इस बार उनसे बात करने वाले बदमाश ने खुद को CBI ऑफिसर दयानायक बताया। पीड़ित को 3 दिनों तक बदमाशों ने डिजिटल अरेस्ट कर के रखा। बदमाशों ने रिटायर्ड वैज्ञानिक को जेल जाने का डर दिखाकर उनके खाते से 1.29 करोड़ रुपये जांच के नाम पर ट्रांसफर करवा लिए। बाद में ठगी का एहसास होने पर पीड़ित ने बरेली स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया।
श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर के डायरेक्टर गिरफ्तार
मामले को लेकर STF के अपर पुलिस अधीक्षक लाल प्रताप सिंह का कहना है कि शनिवार को इकाना स्टेडियम के पास डायरेक्टर की लोकेशन मिली। जिस पर कार्रवाई करते हुए टीम ने वृंदावन कॉलोनी में रहने वाले श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर के डायरेक्टर प्रदीप कुमार सिंह को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बताया कि ICICI बैंक में कॉरपोरेट अकाउंट गिरोह के सदस्यों के कहने पर खुलवाया था। इसी अकाउंट में डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर फ्रॉड के करोड़ों रुपये ट्रांसफर होते थे। साइबर फ्रॉड की रकम का बंटवारा डायरेक्टर प्रदीप सिंह ही करता था। ये सब करने के लिए आरोपी डायरेक्टर को क्रिप्टो करेंसी (USDT) में कमिशन मिलता था। आरोपी ने बताया कि रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर 1.29 करोड़ की रकम उसी के बैंक अकाउंट में मंगाई गई थी। इसके अलावा आरोपी ने साइबर फ्रॉड के रुपयों का पूरा मैनेजमेंट खुद देखने की भी बात कबूली है।
फ्रॉड के 9 लाख रुपये ट्रांसफर
आरोपी प्रदीप ने STF को बताया कि गिरोह में शामिल महफूज, वजीरगंज स्थित रिवर बैंक कॉलोनी में रहता है। जिसके बाद STF की टीम ने महफूज को लोहिया संस्थान के पास से गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपी ने कबूला कि उसने इंडियन बैंक में खाता सदर निवासी उज्जैब के कहने पर खुलवाया था। खाते में अब तक फ्रॉड के 9 लाख रुपये ट्रांसफर की बात भी उसने कबूली।
गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी
2 मोबाइल फोन, 2 पैन कार्ड, दो आधार कार्ड और क्रिप्टो करेंसी वॉलेट से संबंधित दस्तावेज आरोपियों के पास से बरामद किए गए हैं। STF की टीम गिरोह के अन्य सदस्यों और बाइनेंस ऐप पर बनाए गए क्रिप्टो वॉलेट की जांच में जुट गई है। इसके अलावा गिरोह के मुख्य सदस्य दीपक और अंकित भी तलाश जारी है।