दरअसल 1 जुलाई से 30 सितंबर के बीच मीडिएशन फॉर द नेशन कैंपेन चलेगा। इस कैंपेन के तहत सभी न्यायालय में पेडेंसी को कम करने के लिए समझौते योग्य केसों को चिह्नित किया जाएगा। न्यायालय से रेफर होकर विधिक सेवा प्राधिकरण के पास आएंगे। पक्षकारों के बीच समझौता कराया जाएगा और उनका जो विवाद चल रहा है, उसे खत्म किया जाएगा।
पुराने केसों को भी लाया जा रहा
-हाईकोर्ट में 52 हजार 256 प्रकरण सिविल व 37 हजार 496 क्रिमिनल केस लंबित हैं। इनमें ऐसे कई केस हैं, जो लंबे समय से सुनवाई में नहीं आ सके है। ऐसे केसों को सुनवाई में लाया जा रहा है। इससे उन्हें भी तारीख मिलने लगे। 15 से 20 साल पुराने केस कॉजलिस्ट में आने लगे हैं। -पुराने केसों में से भी समझौते योग्य केसों की छंटनी की जा रही है।
इनमें होगा समझौता
-बीमा कंपनियों के खिलाफ सबसे ज्यादा केस लंबित हैं। दुर्घटना क्लेम को निराकरण के लिए पक्षकार व बीमा कंपनी के बीच समझौता कराया जाएगा। -वैवाहिक प्रकरण, चैक बाउंस, वसूली, समझौते योग्य आपराधिक प्रकरण जैसे कि दहेज प्रताडऩा आदि केसों को सुना जाएगा। -समझौते योग्य केसों का निराकरण होने से न्यायालयों की पेडेंसी कम होगी।