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ग्वालियर

भूलकर भी न दें ‘मोबाइल स्क्रीन शेयरिंग’ की परमिशन, तुरंत खाली हो जाएगा खाता !

MP News: साइबर अपराधी भी यूजर को फोन करके स्क्रीन शेयरिंग ऐप से अपने चंगुल में फंसा उसके फोन में कोई ऐप डाउनलोड करवाते हैं। फिर उसके फोन का एक्सेस लेकर यूजर के साथ फ्रॉड करते हैं।

ग्वालियरJul 15, 2025 / 04:48 pm

Astha Awasthi

फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: डिजिटल अरेस्ट, पानी, बिजली का बिल जमा नहीं होने पर कनेक्शन काटने की धमकी देकर बैंक खातों से पैसा चुराना साइबर ठगी के यह हथकंडे तो लोगों को रट गए हैं हालांकि उसके बावजूद कई लोग फिर भी ठगों के छलावों में फंसकर नासमझी में जिंदगीभर की कमाई गंवा रहे हैं, लेकिन अब साइबर अपराधी नया पैंतरा अपना रहे हैं।
यह जालसाज वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर पीडीएफ फाइल, फोटो भेजकर लोगों को झांसा दे रहे हैं। अनजान नंबर से आए फोटो या पीडीएफ फाइल पर क्लिक करते ही मोबाइल का कंट्रोल ठगों के हाथ में आ रहा है। उसके जरिए ठग जाल में फंसे मोबाइल धारक से पूरा डाटा उड़ा कर उसके बैंक खाते खाली कर रहे हैं।

क्या होती है स्क्रीन शेयरिंग, कैसे ठगते जालसाज

स्क्रीन शेयरिंग एक ऐसा फीचर है, जिसके माध्यम से आप कहीं से भी किसी दूसरे फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें फोन की स्क्रीन शेयर करने पर आपके फोन का इस्तेमाल किसी भी शहर में बैठा व्यक्ति आपके फोन को ऑपरेट कर सकता है।
साइबर अपराधी भी यूजर को फोन करके स्क्रीन शेयरिंग ऐप से अपने चंगुल में फंसा उसके फोन में कोई ऐप डाउनलोड करवाते हैं। फिर उसके फोन का एक्सेस लेकर यूजर के साथ फ्रॉड करते हैं। वह लोग आसानी से ठगी का शिकार होते हैं जो खुद स्क्रीन शेयरिंग एप का इस्तेमाल करते हैं। उनके साथ तो आसानी से उनके ही फोन में दर्ज ऐप के जरिए फ्रॉड हो सकता है।

सुनिश्चित करें मोबाइल की सुरक्षा

साइबर अपराधी जालसाजी के लिए रोज नए हथकंडे ढूंढ रहे हैं। इनसे बचने के लिए लोगों को खुद जागरुक होना जरुरी है। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि लालच में फसंने वाले साइबर ठगों के आसान शिकार होते हैं।

पीडीएफ फाइल आई, फोन हैक…..

नाकाचंद्रवदनी निवासी रेनू पत्नी जगदीश साहू ने बताया 6 जुलाई को उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से पीडीएफ फाइल आई थी। उन्होंने उत्सुकतावश फाइल को क्लिक किया तो फोन हैक हो गया तीन दिन बाद उन्हें पता चला कि उनके बैंक खाते से 18 हजार रुपए चोरी हो गए। जालसाजी पता चलने पर उन्होंने पुलिस अधीक्षक दतर जाकर साइबर सेल से शिकायत की है। फिलहाल ठगों और उनके खाते से चोरी गई रकम का कुछ पता नहीं चला है।

ऐसे करें बचाव

-अनजान फोन कॉल या किसी के कहने पर स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड नहीं करें।

-अनजान कॉल पर रहते कभी पैसों का लेनदेन नहीं करें।

-फोन जो भी एप डाउनलोड करें उसका ठोस पासवर्ड बनाएं और उसे किसी से शेयर नहीं करें।
-किसी के साथ ओटीपी या क्यूआर कोड शेयर नहीं करें।

-सत्यापन के बिना लिंक या मैसेज शेयर नहीं करें।

-एप सिर्फ प्ले स्टोर या अधिकृत स्टोर से डाउनलोड करें।

-सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर ईनाम, मुफ्त के ऑफर और प्वाइंट कमाने के प्रलोभन पर भरोसा नहीं करें।
-धोखाधड़ी होने पर घबराएं नहीं तत्काल पुलिस और साइबर सेल की विंग में शिकायत करें।

-जिस बैंक में खाता है उसे भी धोखाधड़ी की सूचना देकर एकाउंट ब्लॉक करवाएं।

-अनजान नंबर से आने वाले कॉल, फोन कॉल, वीडियो कॉल को रिसीव करने से बचें।
-क्योंकि स्कैमर्स इसी जरिए से स्क्रीन शेयर यूजर की प्राइवेसी लीक करते हैं।

-मोबाइल हैक हो गया है आभास होने पर तत्काल फोन को स्विच ऑफ करें।

-अनजान व्यक्ति को मांगने पर अपना फोन नहीं दें। इस पैंतरे से भी जालसाज मोबाइल में स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड कर फोन हैक करते हैं।
-इनसे बचने का प्रयास करें।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट व्यू

साइबर फ्रॉड से बचने का सबसे आसान और ठोस तरीका है कि अनजान नंबर से आए फोन कॉल्स को नजरअंदाज करें। अनजान लोगों से फोन पर संपर्क नहीं रखें। क्योंकि साइबर अपराधी सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। यही उनका कारगर हथकंडा है। ठग जानते हैं कि जो आकर्षित होगा वहीं बातों में आएगा। खासबात है कि साइबर ठगों का शिकार भी पढ़े लिखे और जानकार लोग ही ज्यादा बनते हैं। क्योंकि अक्सर इन्हीं लोगों ने हर चीज को समझने और जानने की उत्सुकता होती है। संजीव नयन शर्मा डीएसपी, स्टेट साइबर सेल प्रभारी

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