जनसंख्या वृद्धि से शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। हर साल गांव से शहर आने वालों की संख्या बढ़ रही है। इससे शहर के संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। सडक़ों पर अतिक्रमण बढ़ा है। वर्तमान में शहर में प्रतिदिन 17 एमएलडी पानी की सप्लाई नगर पालिका कर रही है। जबकि अगले दस साल में 21 एमएलडी पानी की जरूरत होगी। सीवर लाइन, सडक़ें और सकरी होने लगेंगी।
जिले में हर साल वाहनों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2020 में 19510 वाहनों का रजिस्ट्रेशन एआरटीओ में किया गया था। वहीं वर्ष 2021 में 17638, वर्ष 2022 में 20120, वर्ष 2023 में 20044, वर्ष 2024 में 24736 वाहनों की रजिस्ट्रेशन किए गए।
शहर के चारों ओर खेती की जमीन थी, लेकिन कई कॉलोनी बस चुकी है। जनसंख्या की वजह से हर चीज का बंटवारा हुआ है। लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए पेड़ों की कटाई भी बढ़ी है। जंगल घटे हैं और खेती की जमीन में कमी आई है। प्रदूषण बढऩे से कृषि का उत्पादन भी घटा है। कृषि पर करीब 75 प्रतिशत आबादी निर्भर है। खेती की जमीन खटती जा रही है और उपयोग के लिए आबादी बढ़ रही है। इससे महंगाई भी बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में चुनौतियां और बढ़ेंगी। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से खेती में बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं। जनसंख्या के हिसाब से उत्पादन नहीं होने से महंगाई बढ़ेगी।
जिले की सडक़ों की बात करें तो पहले से बेहतर कही जा सकती हैं। शासन के प्रयास से कई नई सडक़ें बनी हैं तो वहीं कई पुरानी सडक़ों का कायाकल्प भी किया गया है। हालांकि जनसंख्या बढऩें ने इन सडक़ों की चौड़ाई बढ़ाने की दरकार है। शहर में पार्किंंंग के लिए जगह नहीं बची है। वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। दो पहिया की तुलना में कारों की संख्या अधिक बढ़ रही है।
समय के साथ जनसंख्या बढ़ी, लेकिन शहर की अधिकतर सडक़ों का चौड़ीकरण नहीं हुआ। संकरी सडक़ों पर वाहनों का दबाव है। इससे जाम की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। यह आगे बढऩे वाली है।
जिले में वर्ष 2011 की आबादी के हिसाब से बिजली नेटवर्क तैयार किया गया था, लेकिन अब उपभोक्ता काफी बढ़ चुके हैं। ऐसे में आने वाले समय गहरी होती जाएगी। हर तरफ सुविधाओं की दरकार
जिले में चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं। जिला अस्पताल में आज भी कई बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा है। वहीं कई जांच के लिए मरीज भटकते हैं। डॉक्टर भी प्रर्याप्त नहीं है। वहीं यातायात पुलिस के पास भी संसाधनों की काफी कमी है। अधिकतर विभाग स्टॉफ एवं संसाधनों की कमी से जूझ रहा है।
जिले में युवा जनसंख्या अधिक है। उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण देना चाहिए। शहर की जगह गांव में उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे लोगों को अपने ही गांव में रोजगार मिल सके। गांव छोडकऱ शहर न आए। इससे पलायन भी रूकेगा और शहर पर जो दबाव बढ़ रहा है वह कम होगा। अंतिम रोजगार प्रदाता कृषि क्षेत्र ही है। ऐसे में कृषि को बढ़ावा देना चाहिए और युवाओं को इसमें आगे आना चाहिए। समय भी काफी बदल चुका है। आधुनिक खेती से किसान उन्नत हो रहे हैं।