19 साल बाद फिर वही दृश्य, फिर वही उम्मीदें
2006 में पहली बार छलकने के बाद, यह बांध लगातार 16 वर्षों से बारिश की मेहरबानी का गवाह बनता आ रहा है। इस साल रविवार 6 जुलाई को सुबह-सुबह जब पानी दो इंच की महीन चादर के रूप में बहा, तो दृश्य अत्यंत मनोहारी था। पिछले दिनों कुंभलगढ़ और गोगुंदा की पहाड़ियों में हुई वर्षा से बनास नदी में तेज़ बहाव शुरू हो गया था, जिससे पानी धीरे-धीरे बाघेरी तक पहुंचा और शनिवार को ही बांध लबालब भर गया।
बाघेरी बना पिकनिक का नया ठिकाना
रविवार को जैसे ही बांध छलका, इलाके में खुशियों की लहर दौड़ गई। आसपास के ग्रामीणों और शहरवासियों ने इस क्षण को यादगार बनाने के लिए अपने परिवार और मित्रों के साथ पिकनिक मनाई। लोग चादर में नहाने, सेल्फी लेने और मौज-मस्ती में डूब गए। हरे-भरे पहाड़ों के बीच स्थित बाघेरी नाका, हर वर्ष इस मौसम में न केवल जल संसाधन का केंद्र बनता है बल्कि एक सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना चुका है। चार लाख से ज्यादा की आबादी को जीवनदान
- बाघेरी नाका सिर्फ एक प्राकृतिक सौंदर्य स्थल नहीं, बल्कि 302 गांवों की जीवनरेखा है।
- इसमें से राजसमंद जिले के खमनोर, देलवाड़ा, रेलमगरा और राजसमंद ब्लॉक के 282 गांव और
- उदयपुर जिले के बड़गांव ब्लॉक के 20 गांव शामिल हैं।
- कुल मिलाकर करीब 4 लाख 37 हजार लोग इस बांध से जल प्राप्त करते हैं।
- बांध के छलकने का मतलब है, इन गांवों में पेयजल संकट से राहत और स्थायी आपूर्ति की उम्मीद।
इतिहास में दर्ज ये तारीखें
- बाघेरी नाका बांध की नींव 2003 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखी थी।
- 2006 में बना और पहली बार छलका।
- 2007 में भी छलका, लेकिन 2008 व 2009 में मानसून कमजोर रहने से यह रीता रहा।
2010 से 2025 तक 16 वर्षों में कभी निराश नहीं किया:
वर्ष छलकने की तारीख
- 2011 17 अगस्त
- 2012 29 अगस्त
- 2013 18 अगस्त
- 2014 27 अगस्त
- 2015 27 जुलाई
- 2016 18 जुलाई
- 2017 22 जुलाई
- 2018 29 जुलाई
- 2019 16 अगस्त
- 2020 24 अगस्त
- 2021 04 अक्टूबर
- 2022 28 जुलाई
- 2023 18 जून (बिपरजॉय तूफान)
- 2024 15 अगस्त
- 2025 06 जुलाई (इस वर्ष)
बांध की भराव क्षमता 311.68 एमसीएफटी है और यह वर्तमान मानसून में पूरी तरह भर गया है।
अब निगाहें नंदसमंद पर…
बाघेरी नाका छलकने के साथ ही बनास नदी का जल खमनोर की ओर तेजी से बह रहा है। स्थानीय लोग और किसान आशान्वित हैं कि यही जल आगे जाकर नंदसमंद बांध तक पहुंचेगा और वहां भी जल्द चादर बहेगी। नंदसमंद जिले का एक और प्रमुख जलस्रोत है जो बाघेरी से जुड़ी प्रणाली का हिस्सा है। यदि यह भी भर जाता है, तो खरीफ की फसल, पशुओं के लिए पानी और ग्रामीणों की दिनचर्या—तीनों ही स्तर पर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। पर्यटन की नई तस्वीर
बाघेरी अब केवल ग्रामीणों का जल स्रोत नहीं, बल्कि राजसमंद का पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है।
- हरियाली अमावस्या
- राष्ट्रीय अवकाश के दिन यहां पर्यटकों की भारी भीड़उमड़ती है।
- लोग यहां नेचर ट्रेलिंग, फोटोग्राफी, चादर स्नान, और वन भ्रमण का आनंद लेते हैं।
जिले के पर्यटन विभाग को यहां इको-टूरिज्म की संभावना तलाशनी चाहिए, जिससे ग्रामीण रोजगार भी बढ़े और यह स्थल अधिक सुरक्षित व संरचित रूप में पर्यटकों को मिले।
क्या कहते हैं जानकार?
जल संसाधन विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बाघेरी नाका ऐसे ही वर्ष दर वर्ष छलकता रहा, तो राजसमंद-उदयपुर क्षेत्र में पेयजल संकट पर नियंत्रण संभव है। लेकिन इसके लिए जरूरी है - बांध की नियमित सफाई और गाद निकालने का कार्य
- जल संचयन हेतु सहायक संरचनाएं,
- रखरखाव में पारदर्शिता
- और जल वितरण प्रणाली का अपग्रेडेशन।