मशीन चालू नहीं होने से कैंसर मरीजों को निजी अस्पतालों में 22 से 25 हजार रुपए में जांच करानी पड़ रही है। एस में 7200 रुपए में जांच होती है, लेकिन वहां 40 दिनों से ज्यादा की वेटिंग है। इस कारण निजी
अस्पताल जाकर जांच कराना मजबूरी है। खास बात यह है कि मशीनों का पांच साल का वारंटी पीरियड 2023 में ही खत्म हो चुका है।
दोनों मशीनें भाजपा सरकार के कार्यकाल में खरीदी गई थीं। फरवरी 2018 में मशीनों का इंस्टालेशन भी पूरा हो गया था। यही नहीं मशीन से जांच के लिए मुंबई की एक एजेंसी भी तय कर दी गई थी।
दरअसल दिसंबर 2018 में भाजपा की सरकार चली गई और कांग्रेस की आ गई। तब उसने यह कहते हुए मशीन चालू करने से इनकार कर दिया कि महंगी मशीनें बिना प्रशासकीय स्वीकृति की खरीदी गई हैं। यही नहीं सप्लायर कंपनी को 90 फीसदी का भुगतान भी कर दिया गया है। इसी विवाद में मशीन इंस्टालेशन के बाद भी चालू नहीं हो पाई। दिसंबर 2023 में भाजपा की सरकार फिर लौटी है, लेकिन डेढ़ साल बाद भी सरकार यह मशीन चालू करने की हालत में नहीँ है। पेट सीटी का डिस्पोजेबल ही खराब निकला था, जो चार साल में बदलना होता है। मशीन के बाकी पार्ट्स ठीक हैं।
मशीनें चालू हालत में, लंबी वेटिंग पेट सीटी व गामा कैमरा मशीन चालू करने का निर्णय शासन स्तर पर लिया जाएगा। हमारी ओर से तैयारी पूरी है। दोनों मशीनें चालू हालत में हैं।
- डॉ. विवेक चौधरी, डीन, नेहरू मेडिकल कॉलेज
एम्स में मरीजों की संख्या काफी अधिक होती है और न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में फैकल्टी कम है। इसलिए पेट सीटी से जांच के लिए लंबी वेटिंग है।
- डॉ. मृत्युंजय राठौर, पीआरओ एस
स्वास्थ्य मंत्री पहले ही दौरे में हुए थे नाराज दिसंबर 2023 में नई सरकार के गठन के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। दोनों बंद मशीनों को देखकर वह नाराज हुए थे। उन्होंने एक मीटिंग में मशीन चालू करने के लिए तीन माह का अल्टीमेटम भी दे डाला था। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश का भी कोई असर नहीं हुआ। जानकारों के अनुसार मशीन शासन को चालू करना है, ऐसे में अस्पताल प्रबंधन पर दोष देना सही नहीं है। मंत्री के आदेश के बाद इंजीनियरों की एक टीम ने मशीन की जांच की। इसमें पता चला कि दोनों मशीनें चालू हैं।