आप नेता सौरभ भारद्वाज का बयान
आप के दिल्ली प्रदेश संयोजक और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा दिल्ली सरकार का एक विभाग है “रेवेन्यू डिपार्टमेंट, जिसकी मंत्री खुद रेखा गुप्ता हैं। उन्होंने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई मंत्री या विधायक किसी बैठक या फील्ड निरीक्षण में डीएम, एडीएम या एसडीएम को शामिल करना चाहता है तो उसे पहले मुख्य सचिव से अनुमति लेनी होगी।” उन्होंने आदेश की भाषा पर भी आपत्ति जताई और कहा कि इसमें ‘यहां तक कि विधायक भी अधिकारियों को बुला लेते हैं’ जैसी बातें कही गई हैं। सौरभ ने सवाल उठाया कि जब विधायक जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं तो उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों से संवाद और निरीक्षण करने का अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए? “यदि विधायक डीएम, एडीएम और एसडीएम को नहीं बुलाएगा तो फिर कौन बुलाएगा?”
दिल्ली सरकार अपने ही मंत्रियों के पर काटे जा रहे हैं
पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने यह भी सवाल खड़ा किया कि इस तरह का आदेश जारी करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? जबकि सरकार में सिर्फ छह मंत्री हैं। उन्होंने कहा “अगर कोई समस्या थी, तो मुख्यमंत्री चाहतीं तो सीधे मंत्रियों से बात कर सकती थीं। यह तो ऐसा लग रहा है जैसे सरकार के भीतर अविश्वास का माहौल बन गया है। यह आदेश केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक असहमति और आपसी समन्वय की कमी का भी संकेत देता है।”
मनीष सिसोदिया ने भी उठाए सवाल
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने मंत्रियों के अधिकारों को सीमित कर दिया है। अब मंत्री अपनी ही सरकार के जिलाधिकारियों को न तो किसी बैठक में बुला सकते हैं और न ही फील्ड निरीक्षण में ले जा सकते हैं। यदि किसी मंत्री को अधिकारी को बुलाना हो तो उसे पहले मुख्य सचिव से लिखित अनुमति लेनी होगी। भाजपा ने लोकतंत्र का तमाशा बना दिया है।”
क्या दिल्ली सरकार में आपसी तालमेल की कमी है?
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि यह आदेश सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं है, बल्कि सरकार के भीतर बढ़ते तनाव और मंत्रियों के अधिकारों को सीमित करने की एक रणनीति है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या दिल्ली की मौजूदा भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के बीच तालमेल की कमी है? क्या यह आदेश मंत्रियों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है?
आम आदमी पार्टी पर भड़की सीएम रेखा गुप्ता
दूसरी ओर सीएम रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी पर जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा “साल 2020-21 में AAP सरकार द्वारा चलाई जा रही “जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना” में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। इस योजना का बजट सिर्फ 15 करोड़ रुपये था, लेकिन AAP सरकार ने 142 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जी बिलों वाली फाइलों को आगे बढ़ा दिया। आम आदमी पार्टी ने दलितों के नाम पर सत्ता हथिया कर दलित बच्चों के भविष्य को लूटा है। इन्होंने बाबासाहेब के आदर्शों का अपमान किया है और शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को भी अपनी भ्रष्ट नीतियों से गंदा किया है।” सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा “जिन दलित बच्चों को कोचिंग मिलनी थी उनके नाम पर बिना दस्तावेज़ के दावे, बिना हस्ताक्षर के आवेदन और कई संस्थानों के तो 100% दावे ही फर्जी पाए गए। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) अब इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच करेगी। बहुत जल्द दूध का दूध और पानी का पानी होगा। बाबा साहब के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाली आम आदमी पार्टी को पाई-पाई का हिसाब देना होगा। AAP की राजनीति हमेशा दलितों के नाम पर दिखावा करती रही है, लेकिन जब जिम्मेदारी निभाने की बारी आई तो उन्हीं के हक़ पर डाका डालने से भी नहीं चूकी। अब इनका असली चेहरा जनता के सामने आएगा।”