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जयपुर

Rajasthan: स्मार्ट मीटर को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद? उर्जा मंत्री क्यों दे रहे हैं बार-बार सफाई? जानें पूरी कहानी

Smart Meter Controversy in Rajasthan: राजस्थान में बिजली के स्मार्ट मीटरों की स्थापना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस योजना को लेकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विरोध देखने को मिल रहा है।

जयपुरJul 15, 2025 / 06:19 pm

Nirmal Pareek

smart meter scheme in Rajasthan

(राजस्थान पत्रिका फोटो)

Smart Meter Controversy in Rajasthan: राजस्थान में बिजली के स्मार्ट मीटरों की स्थापना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। इस योजना का लक्ष्य बिजली वितरण में पारदर्शिता, बिजली चोरी पर रोक और उपभोक्ताओं को अपनी खपत पर नियंत्रण करने का है। हालांकि, इस योजना को लेकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विरोध देखने को मिल रहा है।
विशेष रूप से किसान संगठन, कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जैसे विपक्षी दल इसे आम जनता पर आर्थिक बोझ और निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की साजिश बता रहे हैं। वहीं, कुछ किसानों के बढ़ते बिजली बिल, तकनीकी खामियां के चलते भी यह योजना विवादों में आ गई है।

ऊर्जा मंत्री ने आवास पर लगाए स्मार्ट मीटर

इधर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने भी अपने सरकारी आवास पर स्मार्ट मीटर लगवाकर सभी उपभोक्ताओं से इसे अपनाने की अपील की। उनके अनुसार, यह तकनीक उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत पर नियंत्रण देगी, जिससे मासिक बिलों की चिंता खत्म होगी। मंत्री का दावा है कि स्मार्ट मीटर से गरीब, मजदूर और दिहाड़ी कामगारों को सबसे अधिक लाभ होगा। वे अपनी जेब के अनुसार रिचार्ज कर बिजली का उपयोग कर सकेंगे, जिससे मोटे बिलों का बोझ नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा, बिलिंग में पारदर्शिता आएगी और गलत बिल की शिकायतें कम होंगी। बिलिंग अपने आप तय तारीख को जनरेट होगी और भुगतान न होने पर कनेक्शन कट जाएगा, लेकिन भुगतान के आधे घंटे के भीतर बिना अतिरिक्त शुल्क के कनेक्शन बहाल हो जाएगा।

मंत्री ने विपक्ष के आरोपों का किया खंडन

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह योजना पिछली कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई थी और वर्तमान सरकार ने इसे केवल आगे बढ़ाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के हित में हैं और इससे बिलिंग में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्मार्ट मीटर लगवाना अनिवार्य है और उपभोक्ता इसे मना नहीं कर सकते।
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि गहलोत सरकार के कार्यकाल में 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर स्थापित किए गए थे, लेकिन उस समय कांग्रेस के किसी नेता ने इसका विरोध नहीं किया। अब जब यह योजना आगे बढ़ रही है, तो केवल राजनीतिक फायदे के लिए अनुचित विरोध किया जा रहा है।

गहलोत सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

मंत्री नागर ने गहलोत सरकार पर डिस्कॉम्स को कर्ज के बोझ तले दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई 2020 को अजमेर डिस्कॉम में आईपी डेस्क योजनाओं के तहत कई कार्यों को मंजूरी दी गई थी, लेकिन घपलों और झूठे वादों के कारण डिस्कॉम्स पर कर्ज कई गुना बढ़ गया। उन्होंने दावा किया कि गहलोत सरकार के दौरान बिजली क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी थी, जिसका खामियाजा आज उपभोक्ताओं और बिजली कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है।

यहां देखें वीडियो-


क्यों हो रहा है इस योजना का विरोध?

बताते चलें कि स्मार्ट मीटरों के खिलाफ राजस्थान के गांवों और शहरों में व्यापक विरोध हो रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिजली बिल 10 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। कुछ मामलों में तो बिल लाखों रुपये तक पहुंच गए, जो सामान्य घरों की खपत के हिसाब से असंभव है। जोधपुर, फलोदी, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नागौर और जयपुर सहित कई जिलों में किसान संगठनों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए।
जोधपुर में कांग्रेस नेताओं ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर इस योजना को तत्काल रोकने की मांग की। किसानों का कहना है कि स्मार्ट मीटरों की गलत रीडिंग और तकनीकी खामियों के कारण बिलिंग में अनियमितताएं हो रही हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां संचार और तकनीकी बुनियादी ढांचा कमजोर है। यहां स्मार्ट मीटर ठीक से काम नहीं कर रहे। इससे बिजली कटौती और गलत बिलिंग की समस्याएं बढ़ रही हैं।

विपक्ष ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

वहीं, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने स्मार्ट मीटर योजना को स्मार्ट भ्रष्टाचार करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक मीटर पूरी तरह सही हैं, फिर भी उन्हें बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई है।
वहीं, आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी आरोप लगाया कि बिजली कंपनियां बेलगाम तरीके से काम कर रही हैं और इससे जनता को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। विपक्ष का कहना है कि यह योजना बिजली क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में एक कदम है, जिससे निजी कंपनियां लाभान्वित होंगी।

राजस्थान में इस योजना की क्या है प्रगति?

जानकारी के मुताबिक राजस्थान में 14 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1.43 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 2.87 लाख मीटर ही लगाए जा सके हैं। यह लक्ष्य से काफी पीछे है, जिसके कारण केंद्र सरकार की सब्सिडी भी अटकने की आशंका है।
डिस्कॉम प्रबंधन ने अनुबंधित कंपनी को चेतावनी दी है कि यदि तीन महीनों में सुधार नहीं हुआ तो टेंडर रद्द कर दिया जाएगा। जयपुर कोटा, सीकर और भरतपुर संभाग के 22 सबडिवीजन में स्मार्ट मीटर पहले ही लगाए जा चुके हैं और सरकार का लक्ष्य 2026 तक पूरे राज्य में यह प्रक्रिया पूरी करना है।

क्या है स्मार्ट मीटर योजना का उद्देश्य?

दरअसल, स्मार्ट मीटर एक डिजिटल तकनीक है, जो वास्तविक समय (real-time) में बिजली खपत का डेटा एकत्र करती है और उपभोक्ताओं को मोबाइल ऐप या पोर्टल के माध्यम से उनकी खपत, बैलेंस और बिलिंग की जानकारी प्रदान करती है। यह प्रीपेड सिस्टम पर आधारित है, यानी उपभोक्ता को मोबाइल रिचार्ज की तरह बिजली के लिए पहले भुगतान करना होगा।

स्मार्ट मीटर का अन्य राज्यों में भी विरोध

बताते चलें कि यह मुद्दा केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है। बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी स्मार्ट मीटरों के खिलाफ व्यापक विरोध हो रहा है। बंगाल में इस योजना का विरोध बढ़ने के बाद इसे फिलहाल बंद कर दिया गया है। गुजरात के वडोदरा, सूरत और अन्य शहरों में भी उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटरों से बढ़े बिलों की शिकायत की और पुराने मीटर वापस लगाने की मांग की।

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