जयपुर। केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में प्रदेश एक बार फिर पिछड़ता नजर आ रहा है। इसका बड़ा कारण सरकार स्तर पर मॉनिटरिंग में ढिलाई, अफसरों की गंभीरता की कमी और निकायों की लचर कार्यशैली है। पिछले तीन सालों के परिणामों को देखा जाए तो राजस्थान के निकायों की रैंकिंग सुधरने के स्थान पर गिरती ही जा रही है।
वर्तमान परिणामों में तो केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से दिल्ली में 17 जुलाई को होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग अवार्ड के लिए राजस्थान से अभी तक सिर्फ जयपुर नगर निगम ग्रेटर और डूंगरपुर को ही न्योता मिला है। ऐसे में बाकी शहरों की उम्मीद लगभग धुंधली हो गई है। आरआरआर (रियूज, रिड्यूस, रिसाइकिल) जैसी थीम को जमीनी स्तर पर लागू करने में अफसरशाही विफल दिख रही है।
जिससे प्रदेश की स्वच्छता रैंकिंग पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। स्वायत्त शासन विभाग की ढुलमुल निगरानी और निकायों की खानापूर्ति राजस्थान को स्वच्छता के राष्ट्रीय मानचित्र पर पीछे ढकेल रही है। हालांकि अफसरों को अब भी उम्मीद है कि स्वच्छता रैंकिंग की कैटेगरी में कुछ और निकाय शामिल होंगे।
जानकारी के अनुसार, केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से करवाए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में जयपुर नगर निगम ग्रेटर को स्टेट मिनिस्ट्रियल कैटेगरी और सुपर स्वच्छ लीग सिटीज में डूंगरपुर को अवार्ड मिलेगा। स्वायत्त शासन विभाग के पास रविवार शाम तक केवल इन दो निकायों को दिल्ली में होने वाले कार्यक्त्रस्म में बुलाने की सूचना है। इससे स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग के टॉप शहरों में प्रदेश के बाकी शहरों की संभावनाएं धुंधली लग रही हैं।
3 साल में फिसलती गई रैंकिंग, सुधारने के कई मौके भी गंवाए
पिछली बार जयपुर नगर निगम ग्रेटर 173 वें नंबर पर था। उसे 4679.60 अंक मिले थे। जबकि 2022 की रैंकिंग में 33 वें नंबर पर था। कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में तीन शहर थे। इनमें डूंगरपुर को तीन स्टारऔर नाथद्वारा व उदयपुर को एक स्टार रैंकिंग मिली थी। डूंगरपुर को 5413.8 अंक मिले थे।
सूचना साझा नहीं करने के निर्देश
मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिए कि आधिकारिक रूप से परिणाम जारी होने तक सूचना मीडिया-सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर साझा न हो। जयपुर नगर निगम ग्रेटर ने एक दिन पहले मीडिया ग्रुप पर जानकारी दी थी।
जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप
राज्य के अधिकांश निकायों में जनप्रतिनिधियों की ‘राजनीति’ और कार्यों में निरंतर दखल से सफाई व्यवस्था प्रभावित रही है। सफाई टेंडर चहेती कंपनियों को दिए और खराब कार्यों पर कार्रवाई नहीं हुई। अधिकांश महापौर-सभापति निष्क्रिय रहे। जबकि, सरकारें जनप्रतिनिधियों से सहयोग की अपेक्षा करती रही। यहां तक कि कार्ययोजना बनाकर भी दी, ज्यादातर न गंभीरता से नहीं लिया।
बुनियादी काम में लापरवाही
राजधानी जयपुर सहित अन्य निकायों में गीला और सूखा कचरा पृथक संग्रहण की पर्याप्त व्यवस्था अब तक नहीं बन सकी। निर्माण व तोड़फोड़ के कचरे की निस्तारण प्रणाली (कंस्ट्रक्शन एण्ड डिमोलिशन वेस्ट) जयपुर तक सीमित रही। नियमित कचरा संग्रहण और प्रसंस्करण को लेकर कई निकाय पिछड़े रहे। निकाय प्रमुख कचरा संग्रहण व्यवस्था को नियमित चला नहीं पाए।
तीन वर्ष में राजस्थान की स्थिति
-2021 में राजस्थान 12वीं रैंक पर था। -2022 में यह सुधरकर 8वीं रैंक पर पहुंचा। -2023 में राज्य 25वीं रैंक पर फिसल गया।
मध्यप्रदेश का दबदबा
स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश ने एक बार फिर बाजी मार ली है। राज्य के आठ शहरों को इस बार पुरस्कार मिलने जा रहा है। पिछली बार पांचवें स्थान पर रहे भोपाल ने इस बार तीसरा स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश के भोपाल, देवास और शाहगंज प्रेसिडेंट अवॉर्ड, जबलपुर और ग्वालियर को मिनिस्ट्रियल अवॉर्ड मिलेगा। वहीं सुपर लीग श्रेणी में इंदौर, उज्जैन और बुदनी को पुरस्कृत किया जाएगा।
Hindi News / Jaipur / Swachhta Survey 2024: स्वच्छता में फिर पिछड़ा राजस्थान, अव्वल शहरों की सूची में नहीं मिली जगह, जानें क्यों