scriptSawan 2025: राजस्थान का अनूठा शिव मंदिर, जहां दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं महादेव; उमड़ती है कुंवारों की भीड़ | In Narvadeshwar Mahadev Temple, Lord Shiva and Goddess Parvati are seated together on Nandi | Patrika News
जयपुर

Sawan 2025: राजस्थान का अनूठा शिव मंदिर, जहां दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं महादेव; उमड़ती है कुंवारों की भीड़

राजस्थान के करौली जिले में भगवान भोलेनाथ का एक अनूठा स्वरूप भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। महादेव मंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है।

जयपुरJul 15, 2025 / 06:45 pm

Santosh Trivedi

lord shiva

Photo- Patrika

राजस्थान के करौली जिले के हिण्डौन सिटी शहर में भगवान भोलेनाथ का एक अनूठा स्वरूप भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। जहां आमतौर पर शिवालयों में भगवान शिव शिवलिंग के रूप में विराजमान होते हैं, वहीं पीरिया की कोठी पर नर्वदेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शंकर और माता पार्वती युगल रूप में नंदी पर विराजित हैं। स्थानीय लोग आस्था से इस स्वरूप को ‘दूल्हेराजा’ के नाम से पुकारते हैं, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र है।

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शिव की पूजा से पूरी होती है विवाह की इच्छा

शिवभक्तों का मानना है कि नंदी पर विराजित मां पार्वती व भगवान शंकर की युगल प्रतिमा उनके विवाह के संदर्भ की है। जब वे विवाह के बाद मां पार्वती को नंदी पर बैठकर हिम नरेश हिमाचल के यहां से कैलाश धाम ले जा रहे हैं। कहते हैं कि कुंवारे युवक-युवती इस युगल स्वरूप की पूजा कर विवाह की मनौती मांगते हैं।

क्या आपने देखा है भगवान शिव का ऐसा श्रृंगार?

साथ ही सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए दूल्हेराजा महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। मंदिर के पुजारी श्याम तिवाड़ी के अनुसार, प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती की युगल प्रतिमा को मुकुट पहनाकर विशेष श्रृंगार किया जाता है। खासकर सावन माह में यहां शिव भक्तों का पूजा के लिए तांता लगा रहता है। शिव-पार्वती की युगल प्रतिमा का विशेष अभिषेक और बिल्व पत्रों से श्रृंगार किया जाता है।
Lord Shiva
Photo- Patrika

500 साल पुराना है मंदिर

मंदिर की पूजा-सेवा से जुड़े वेदप्रकाश तिवाड़ी ने बताया कि जलसेन तालाब के किनारे पीरिया की कोठी पर स्थित नर्वदेश्वर महादेव मंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है। कहते हैं मंदिर में स्थापित सफेद पत्थर की शिव-पार्वती की युगल प्रतिमा को संत सिद्ध बाबा ने स्थापित किया था। पहले प्रतिमा खुले में एक छोटी छतरी के नीचे थी, लेकिन बाद में भक्तों ने कमरा बनवाकर इसे मंदिर का स्वरूप प्रदान किया। वहीं भी महादेव छतरी में विराजित हैं।

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