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गोरखपुर

ओडिशा में सौम्याश्री की आत्मदाह से मृत्यु…शिक्षा परिसरों में यौन हिंसा पर ABVP ने उठाई न्याय की माँग

देश के शिक्षण संस्थानों में फैली संस्थागत संवेदनहीनता और दोषियों के संरक्षण का एक भयावह उदाहरण है ओडिसा की घटना । यह दर्शाता है कि जब छात्राएं न्याय की अपेक्षा में संस्थान का द्वार खटखटाती हैं, तो उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है।

गोरखपुरJul 15, 2025 / 09:47 pm

anoop shukla

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फोटो सोर्स: पत्रिका, ओडिसा घटना पर ABVP का प्रदर्शन

ओडिशा के बालासोर स्थित फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की छात्रा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय कार्यकर्ता सौम्याश्री बिशी की आत्मदाह से हुई दर्दनाक मृत्यु ने समूचे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है। कॉलेज के शिक्षा विभागाध्यक्ष समीर साहू द्वारा मानसिक व यौन उत्पीड़न के कारण प्रताड़ित सौम्याश्री ने जब साहस दिखाते हुए कॉलेज प्राचार्य को लिखित शिकायत दी, तो संस्थान ने दोषी शिक्षक के विरुद्ध कोई कठोर कदम नहीं उठाया, बल्कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की आड़ में पीड़िता को ही दोषी ठहराने का प्रयास किया गया।

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AIIMS भुवनेश्वर में हुई सौम्याश्री की मृत्यु

NSUI से जुड़े कुछ छात्रों ने भी उनके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए और चरित्र हनन किया। जब प्राचार्य ने 12 जुलाई को सौम्याश्री को यह कहकर निराश किया कि रिपोर्ट शिक्षक के पक्ष में है, समझौता कर लो तो उन्होंने कॉलेज परिसर में आत्मदाह कर लिया, और 14 जुलाई की रात AIIMS भुवनेश्वर में उनकी मृत्यु हो गई।

इस अमानवीय घटना पर ABVP कर रही है देश में श्रद्धांजलि सभा

यह घटना न केवल व्यक्तिगत उत्पीड़न की कहानी है, बल्कि यह हमारे शिक्षण संस्थानों में फैली संस्थागत संवेदनहीनता, यौन हिंसा पर मौन, और दोषियों के संरक्षण का एक भयावह उदाहरण भी है। यह दर्शाता है कि जब छात्राएं न्याय की अपेक्षा में संस्थान का द्वार खटखटाती हैं, तो उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। अभाविप ने इस अमानवीय घटना के विरोध में देशव्यापी श्रद्धांजलि सभाओं, मोमबत्ती मार्च, हस्ताक्षर अभियानों और धरना-प्रदर्शनों की घोषणा की है, जिसके माध्यम से देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता सौम्याश्री को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रदेश मंत्री मयंक राय ( ABVP)

अभाविप के प्रदेश मंत्री श्री मयंक राय ने कहा कि, “सौम्याश्री की मृत्यु सिर्फ एक छात्रा की त्रासदी नहीं, बल्कि संस्थानों की नैतिक विफलता और मौन मिलीभगत का परिणाम है। एक ओर वह शिक्षक जिन्होंने उत्पीड़न किया, और दूसरी ओर एन एस यू आई जैसे छात्र संगठनों के लोग जिन्होंने पीड़िता को ही अपमानित किया—दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। यह घटना चेतावनी है कि अगर संस्थान यौन उत्पीड़न के मामलों में चुप रहेंगे, तो विद्यार्थी परिषद कभी मौन नहीं रहेगी। हम न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी कानूनी और जन-संगठनात्मक प्रयासों को अपनायेंगे।

संपदा द्विवेदी, सदस्य ( राष्ट्रीय कार्यकारिणी)

राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुश्री संपदा द्विवेदी ने कहा कि “सौम्याश्री जैसी होनहार छात्राओं को यदि शिक्षा संस्थानों में ही सम्मान और सुरक्षा नहीं मिलेगी, तो यह संपूर्ण व्यवस्था की विफलता है। इस विरोध प्रदर्शन के द्वारा आज परिषद ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा परिसरों में किसी भी प्रकार की यौन हिंसा, शोषण या प्रताड़ना को किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा।अभाविप ऐसी घटनाओं के खिलाफ सड़कों से लेकर संसद तक आवाज उठाएगी।”

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