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बैंगलोर

शारीरिक निष्क्रियता, डिजिटल लत, जंक फूड और खराब स्वास्थ्य प्रथाएं भारी

बच्चे और किशोर कम उम्र में ही थकान, निम्न रक्तचाप और यहां तक कि हृदय संबंधी जोखिम जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

बैंगलोरJul 14, 2025 / 08:25 am

Nikhil Kumar

Mobile Addiction in Children

Mobile Addiction in Children

-केएएमएस ने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर अभिभावकों को चेताया

एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ प्राइमरी एंड सेकेंडरी स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) ने राज्य Karnataka में हाल ही में सामने आए हृदयघात Heart Attack के मामलों के मद्देनजर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर अभिभावकों को चेताया है। शारीरिक निष्क्रियता और खराब स्वास्थ्य प्रथाएं बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही हैं।
चिंताजनक प्रवृत्ति

केएएमएस Associated Management of Primary and Secondary Schools in Karnataka के महासचिव डी. शशि कुमार D. Shashi Kumar ने बताया कि स्कूलों में किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में बच्चों के स्वास्थ्य Children’s Health व जीवनशैली को लेकरएक चिंताजनक प्रवृत्ति सामने आई है। बच्चे और किशोर कम उम्र में ही थकान, निम्न रक्तचाप और यहां तक कि हृदय संबंधी जोखिम जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
मुख्य कारण

उन्होंने कहा कि अक्सर कोविड व अन्य बाहरी प्रभावों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन, अस्वस्थ घरेलू वातावरण, प्रसंस्कृत व जंक फूड Junk Food, डिजिटल लत Digital Addiction, आधुनिक जीवनशैली, खेलकूद sports की कमी और पालन-पोषण के तरीके बच्चों के स्वास्थ्य में गिरावट के मुख्य कारण हैं।
अवसर प्रदान किए जाने पर भी…

सर्वेक्षण में शामिल सभी स्कूलों के शिक्षकों और प्रबंधकों की राय यह थी कि 95 फीसदी से ज्यादा छात्र घर पर और यहां तक कि स्कूलों के शारीरिक प्रशिक्षण (पीटी) के समय में भी, किसी भी शारीरिक व्यायाम में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होते हैं। अवसर प्रदान किए जाने पर भी, छात्र शारीरिक गतिविधियों या खेलकूद से में हिस्सा लेने से बचते हैं। यहां तक कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उनकी रुचि स्पष्ट रूप से उदासीनता और अलगाव को दर्शाती है।
कई बार अभिभावक ही करते हैं छूट की मांग

कई बार तो माता-पिता भी बच्चों की इन आदतों का समर्थन करते हैं। बच्चों के शरीर में दर्द या थकान का हवाला देते हुए छूट की मांग करते हैं। गतिहीन जीवनशैली के कारण और भी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। बच्चों की सहनशक्ति काफी कम हो चुकी है।
छात्राओं के बीच स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। एनीमिया, कम सहनशक्ति और दीर्घकालिक निष्क्रियता व कुपोषण से जुड़े लक्षण बढ़ रहे हैं।

सुझाव

-माता-पिता को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और घर पर दैनिक शारीरिक गतिविधि को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करना चाहिए।
-स्कूलों को बच्चों को शारीरिक गतिविधियों से वंचित नहीं रखना चाहिए, जब तक कि उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या न हो।

-जिम्मेदार पालन-पोषण के हिस्से के रूप में डिजिटल और भोजन संबंधी आदतों पर बारीकी से नजर रखी जानी चाहिए और उन्हें सुधारा जाना चाहिए।

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