गायत्री शक्तिपीठ में हर्षोल्लास के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रात काल 7 बजे गुरुदेव और माता जी का पांच द्रव्यों से अभिषेक किया गया। नो कुंडी यज्ञ शाला में गायत्री महायज्ञ का संचालन सतीश बढ़ाया और मुरारी लाल शर्मा ने किया। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित संस्कार संवर्धन अभियान को यज्ञ से जोड़ा गया। सतीश बड़ाया ने गायत्री मंत्र के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा की, यह बताते हुए कि यह वर्तमान परिस्थितियों के परिशोधन के लिए महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में शहर के कई धर्मप्रेमी नागरिक, समाजसेवी और श्रद्धालु मौजूद रहे। गुरु पूर्णिमा पर हुए आयोजनों में बच्चों और युवाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। कई संस्थानों ने इस दिन को प्रेरणादायक बनाते हुए संस्कार शिविरों, ध्यान सत्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया। गुरु पूर्णिमा के इन आयोजनों के माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को एक बार फिर समाज के समक्ष रेखांकित किया गया और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत वातावरण ने श्रद्धालुओं के मन में नई प्रेरणा का संचार किया।