जेल में बंद बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) के नेता महरंग बलूच की बहन ने अपनी बहन और अन्य हिरासत में लिए गए बीवाईसी नेताओं के साथ किए गए व्यवहार पर गंभीर चिंता जताई है।
मानवाधिकारों की रक्षा के लिए महिला ने लगाई गुहार
उन्होंने पाकिस्तान की न्यायपालिका, सिविल सोसाइटी, बार काउंसिल और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से कानून का शासन बहाल करने और हिरासत में लिए गए लोगों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
अलग अलग थानों में किया गया शिफ्ट
बता दें कि पिछले सप्ताह अदालत में पेशी के बाद महरंग बलूच, बीबो बलूच, गुलजादी बलूच, सबघतुल्ला शाह जी और बीबर्ग जेहरी को अलग-अलग पुलिस थानों में शिफ्ट कर दिया गया, जबकि दो निचली अदालतों ने कथित तौर पर आदेश दिया था कि उन्हें कानूनी सहायता दी जाए और कानूनी बचाव की तैयारी के लिए परिवार से संपर्क करने की अनुमति दी जाए। बलूच की बहन ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी लगातार उनके अधिकारों से उन्हें वंचित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कानूनी कागजी कार्रवाई में जानबूझकर देरी की जा रही है। इसके साथ, बंदियों को अक्सर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति देने से पहले घंटों इंतजार कराया जाता है।
बलूच सहित महिला बंदियों को एक महिला पुलिस थाने में रखा गया है, जो कथित तौर पर आतंकवाद निरोधी विभाग (सीटीडी) और खुफिया एजेंसियों के नियंत्रण में है, न कि नागरिक पुलिस के। उनका यह कहना है कि थाने के कर्मचारियों का व्यवहार बेहद खराब और अपमानजनक रहा है, जो कथित तौर पर पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 10 और 10-ए का उल्लंघन करता है।
किसी से मिलने की इजाजत नहीं
सभगतउल्लाह शाह जी और बीबर्ग जेहरी की स्थिति पर विशेष चिंता व्यक्त की गई, जिन्हें कथित तौर पर छावनी पुलिस थाने में बिना किसी संपर्क के रखा गया है। यहां तक कि उनके परिवारों और वकीलों को भी अदालती आदेशों की सीधे अवहेलना करते हुए किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है, जिसे महिला ने ‘अवैध हिरासत’ करार दिया है। बयान में आगे बंदियों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न, चिकित्सा देखभाल से इनकार और धमकियों का आरोप लगाया गया है। महरंग बलूच की बहन ने यह भी खुलासा किया कि आधी रात के बाद खुफिया विभाग के लोग उनके घर के बाहर आ गए। उन्हें उत्पीड़न पर चुप कराने की कोशिश की गई