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कचरे से अटी उमरार नहर, 20 से अधिक गांवों के किसानों को नहीं मिल रहा पानी

उमरार नहर की सफाई के लिए चलाया गया था जल गंगा अभियान, फिर भी नहीं हो सकी नहर की सफाई

उमरियाJul 14, 2025 / 03:55 pm

Ayazuddin Siddiqui

उमरार नहर की सफाई के लिए चलाया गया था जल गंगा अभियान, फिर भी नहीं हो सकी नहर की सफाई

उमरार नहर की सफाई के लिए चलाया गया था जल गंगा अभियान, फिर भी नहीं हो सकी नहर की सफाई

सरकार द्वारा जल स्त्रोतों व किसानों के खेतों में सिंचाई के मुख्य साधन नहर की सफाई के लिए चलाए गये जल गंगा अभियान के बाद भी उमरार नहर कचरे से अटी हुई है। बांध से निकलते ही महरोई, उफरी से लेकर चपहा, महिमार, बड़ेरी होते अधिकतर रकबे में नहर कचरे से अटी हुई है। सिंचाई के दौरान लीकेज से लेकर कम दबाव होने की शिकायतें भी होती हैं। फिर भी जल संसाधन विभाग किसानों की तकलीफ का निदान नहीं कर पा रहा है।

जिला मुख्यालय से लगे उमरार बांध दो दर्जन से अधिक गांव के रकबे को सिंचित करता है। बदले में जल संसाधन विभाग समितियों के माध्यम से हर साल टैक्स भी वसूलता है, बावजूद इसके नहर निर्माण के बाद दशकों से इसका विस्तार नहीं हुआ है। आज भी घंघरी, महिमार, खेरवाखुर्द से लेकर बरबसपुर गांवों में कच्ची लाइन के सहारे पानी खेतों में पहुंचता है। नतीजा न तो पानी में उतना बहाव रहता है साथ ही लीकेज के चलते किसानों को परियोजना का शत-प्रतिशत पानी नहीं मिल पा रहा।

किसानों का कहना है शहर से लगे ददरी गांव के नजदीक उमरार बांध से निकली नहर जमुनिहा, लालपुर से बड़ेरी, खेरवाखुर्द तथा बरबसपुर गांव तक पानी पहुंचाती है। नहर की सफाई के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा समितियों का गठन किया गया है। निर्वाचन के माध्यम से सदस्य चुने जाते हैं। किसानों का कहना है कई बार सदस्य नए सिरे से नहर बनाने की मांग कर चुके हैं लेकिन प्रशासन ध्यान ही नहीं दे रहा। बांध बनने के बाद तीन दशक पहले उमरार नहर का पक्कीकरण हुआ था। ददरी, उफरी, महरोई, खलेसर, घंघरी व बड़ेरी तक 10.68 कि.मी. लंबाई की लाइनिंग ही पक्की हो पाई है। वितरण वाली सहायक नहर में 4.20 सीमेंट वाली तथा 1.44 किमी. कच्ची यानि मिट्टी की है। इसी तरह छोटी व सहायक श्रेणी में केवल 1.50 किमी. लंबी नहर मिट्टी श्रेणी की है। यानि कुल 34.87 में से 14.88 पक्की तथा 19.99 मिट्टी की मेढ़ के सहारे पानी खेत तक पहुंचता है। अब लंबा अरसा बीतने से यह जगह-जगह दीवार दरक चुकी है। खेत में पानी ले जाने खोदी गई रोड में अब कटाव हो चुका है। बीच नहर में घास व मलबे की मोटी परत जमी हुई। जिला मुख्यालय से लगे करीब 20 गांव के किसानों तक दोनों सीजन खेत में सिंचाई का पानी पहुंचाने उमरार जलाशय परियोजना का निर्माण 1980 से प्रारंभ हुआ था।

किसानों का कहना है खेती के लिए बनाए गए बांध से प्रशासन समय के साथ पेयजल परियोजनाओं को जोड़ चुका है लेकिन बांध में पानी की आवक बढाने कोई काम नहीं हो रहा। बफर क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहा है। नए तालाब, स्टॉप डैम बनने से बांध में पानी घट रहा है। वर्तमान में इसकी जलगृहण क्षेत्र का रकबा 60.22 किमी. क्षेत्र है। अधिकतम ऊंचाई 24.85 मी तथा भराव क्षमता 18.90 मि.घनमी. है। 16.70 घन मीटर पानी का उपयोग सिंचाई व पेयजल के लिए होता है।

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