20 प्रतिशत मरीजों ने छोड़ा बिना बताए वार्ड कल्याण अस्पताल से करीब 1800 से ज्यादा मरीजों की फाइल तो बन गई लेकिन अस्पताल से बिना बताए चले गए। मेडिकल रीलिफ सोसाइटी में जमा राशि को मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाता है। किसी भी आपात स्थिति में इस फंड के लिए अस्पताल में सुविधाएं जुटाई जाती है। कल्याण अस्पताल में जून महीने में अस्पताल में तीन हजार मरीजों ने इलाज के लिए ट्रीटमेंट आईटेंटीफिकेशन डाटा (टीआईडी) जनरेट की गई। यह फंड जरूरतमंद मरीजों के लिए दवाएं, जांच और इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध कराने में इस्तेमाल होता है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब मरीज का क्लेम तो बुक कर दिया जाता है लेकिन मरीज प्रबंधन को बिना बताए अस्पताल से चला जाता है।
पड़ताल: इस कारण हुए क्लेम रिजेक्ट अस्पताल में क्लेम रिजेक्ट होने का मुख्य कारण दस्तावेजों की कमी रही। अस्पताल में योजना में पैकेज बुक रेजीडेंट चिकित्सकों की ओर से किए जाते हैं। कई बार मरीजों की बीमारी के लिए गलत पैकेज लगा दिए जाते हैं। इसी तरह मरीज का पंजीयन देरी से किया जाता है। कई मरीज २४ घंटे से पहले ही अस्पताल से चले जाते हैं।जून माह में अस्पताल से करीब 30 प्रतिशत क्लेम रिजेक्ट हो गए, जिससे अस्पताल मेडिकल रिलीफ सोसाइटी के फंड में भी भारी कमी आई है।
पाबंद किया जाएगा… योजना में अस्पताल की ओर से 2988 मरीजों का पंजीयन किया गया था। इनमें से कई क्लेम रिजेक्ट हुए हैं, जिससे अस्पताल की आय घटी है। योजना को लेकर कार्मिकों को पाबंद किया जाएगा।
डॉ. महेद्र सैनी, नोडल अधिकारी, मेडिकल कॉलेज, सीकर टॉपिक एक्सपर्ट मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में सरकारी अस्पताल में क्लेम रिजेक्ट करना दुर्भाग्यपूर्ण है। क्लेम रिजेक्शन रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन को दस्तावेजों को सही समय पर अपलोड करना चाहिए। अस्पताल में भर्ती होने के बाद प्रबंधन को तय समय सीमा में ही मरीज का योजना में पंजीयन करना चाहिए। सरकार को इस परेशानी को दूर करना चाहिए।
वीरेंद्र माथुर, जिला मंत्री, राजस्थान पेंशनर मंच समिति