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आयुष्मान योजना में गफलत: दस्तावेजों की कमी से 30 प्रतिशत क्लेम रिजेक्ट, सुविधाओं पर कैंची

जून माह में एसके अस्पताल में बनी तीन हजार टीआईडी दो करोड़ छह लाख की जगह स्वीकृत हुए एक करोड़ रुपए के क्लेम क्लेम रिजेक्शन से बढ़ी मरीजों की परेशानी सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना प्रबंधन के लिए गलफांस बन गई है। वजह बीमा कंपनी की […]

सीकरJul 15, 2025 / 11:16 am

Puran

जून माह में एसके अस्पताल में बनी तीन हजार टीआईडी

दो करोड़ छह लाख की जगह स्वीकृत हुए एक करोड़ रुपए के क्लेम

क्लेम रिजेक्शन से बढ़ी मरीजों की परेशानी

सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना प्रबंधन के लिए गलफांस बन गई है। वजह बीमा कंपनी की ओर से क्लेम रिजेक्ट करना। इसकी बानगी है कि जिले के सबसे बड़े सरकारी कल्याण अस्पताल की ओर से भेजे गए 2988 क्लेम में से 945 क्लेम रिजेक्ट कर दिए गए। इससे अस्पताल की आय पचास प्रतिशत तक घट गई, जिससे मरीजों को दी जाने सुविधाएं पर पड़ने लगा है। इधर योजना में क्लेम रिजेक्शन की संख्या बढ़ने से चिकित्सकों व अस्पताल प्रबंधन ने भी योजना से दूरी बनानी शुरू कर दी है। प्रदेश में जून माह में छह लाख मरीजों ने योजना के तहत उपचार कराया। इसमें से करीब 1,57,000 क्लेम रिजेक्ट हो गए। कल्याण अस्पताल प्रबंधन की ओर से जून माह में योजना के तहत दो करोड़ छह लाख रुपए के क्लेम स्वीकृति के लिए भेजे थे, लेकिन दस्तावेजों के अधूरे और तकनीकी खामियों के कारण बीमा कंपनी ने 87 लाख रुपए ही स्वीकृत किए है। ४३ लाख रुपए से ज्यादा के क्लेम रिजेक्ट हो गए। जिनमें सबसे ज्यादा क्लेम रिजेक्शन गाइनी, सर्जरी और आर्थोपेडिक विभाग से जुड़े हुए हैं। प्रबंधन के अनुसार अस्पताल में रोजाना सवा सौ से ज्यादा मरीजों को भर्ती किया जाता है। इसमें से 80 मरीजों का योजना में उपचार किया जाता हैं।
20 प्रतिशत मरीजों ने छोड़ा बिना बताए वार्ड

कल्याण अस्पताल से करीब 1800 से ज्यादा मरीजों की फाइल तो बन गई लेकिन अस्पताल से बिना बताए चले गए। मेडिकल रीलिफ सोसाइटी में जमा राशि को मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाता है। किसी भी आपात स्थिति में इस फंड के लिए अस्पताल में सुविधाएं जुटाई जाती है। कल्याण अस्पताल में जून महीने में अस्पताल में तीन हजार मरीजों ने इलाज के लिए ट्रीटमेंट आईटेंटीफिकेशन डाटा (टीआईडी) जनरेट की गई। यह फंड जरूरतमंद मरीजों के लिए दवाएं, जांच और इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध कराने में इस्तेमाल होता है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब मरीज का क्लेम तो बुक कर दिया जाता है लेकिन मरीज प्रबंधन को बिना बताए अस्पताल से चला जाता है।
पड़ताल: इस कारण हुए क्लेम रिजेक्ट

अस्पताल में क्लेम रिजेक्ट होने का मुख्य कारण दस्तावेजों की कमी रही। अस्पताल में योजना में पैकेज बुक रेजीडेंट चिकित्सकों की ओर से किए जाते हैं। कई बार मरीजों की बीमारी के लिए गलत पैकेज लगा दिए जाते हैं। इसी तरह मरीज का पंजीयन देरी से किया जाता है। कई मरीज २४ घंटे से पहले ही अस्पताल से चले जाते हैं।जून माह में अस्पताल से करीब 30 प्रतिशत क्लेम रिजेक्ट हो गए, जिससे अस्पताल मेडिकल रिलीफ सोसाइटी के फंड में भी भारी कमी आई है।
पाबंद किया जाएगा…

योजना में अस्पताल की ओर से 2988 मरीजों का पंजीयन किया गया था। इनमें से कई क्लेम रिजेक्ट हुए हैं, जिससे अस्पताल की आय घटी है। योजना को लेकर कार्मिकों को पाबंद किया जाएगा।
डॉ. महेद्र सैनी, नोडल अधिकारी, मेडिकल कॉलेज, सीकर टॉपिक एक्सपर्ट

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में सरकारी अस्पताल में क्लेम रिजेक्ट करना दुर्भाग्यपूर्ण है। क्लेम रिजेक्शन रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन को दस्तावेजों को सही समय पर अपलोड करना चाहिए। अस्पताल में भर्ती होने के बाद प्रबंधन को तय समय सीमा में ही मरीज का योजना में पंजीयन करना चाहिए। सरकार को इस परेशानी को दूर करना चाहिए।
वीरेंद्र माथुर, जिला मंत्री, राजस्थान पेंशनर मंच समिति

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