अपने लोगों को 2089 ई-सेवाएं देने के साथ कर्नाटक पहले नम्बर पर है। जबकि दूसरे नम्बर पर पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश है। यहां के
नागरिकों को 1752 प्रकार की ई-सेवाएं मिल रही हैं। सबसे अहम बात यह है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 21 हजार 62 ई-सेवाएं प्रदान की जा रही है। दरअसल, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के
ई-सेवाओं के लिए लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (एनईएसडीए-वे फॉरवर्ड) डैशबोर्ड मई, 2025 की मासिक रिपोर्ट का 25वां संस्करण जारी किया है। इस रिपोर्ट में राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ई-सेवा वितरण की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
हमारे साथ बने राज्यों से भी पीछे छत्तीसगढ़ के साथ उत्तराखंड और झारखंड का निर्माण हुआ है। ई-सेवाएं देने में इन दोनों राज्यों ने छत्तीसगढ़ को पछाड़ दिया है। इस मामले में उत्तराखंड देश में 6वें नम्बर पर है। वो अपने नागरिकों को 935 ई-सेवाएं दे रहा है। जबकि झारखंड देश में 17वें पायदान पर है। यहां के लोगों को 557 प्रकार की ई-सेवाएं मिल रही हैं।
प्रदेश में लागू प्रमुख ई-सेवाएं आय प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, मूल निवासी प्रमाण पत्र, रोजगार पंजीयन, भवन निर्माण अनुज्ञा, भुइयां से नकल (भूमि दस्तावेज़ आदि ) के लिए, इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना, ई-कोर्ट केस पंजीकरण, कीटनाशक लाइसेंस, जन शिकायत कलेक्टरेट, दुकान एवं स्थापना पंजीयन के लिए, नए बिजली कनेक्शन के लिए, नॉन डिजिटाइज्ड नकल (भूमि दस्तावेज़ आदि ) के लिए, वन विभाग अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित अन्य सेवाएं शामिल हैं।
वरिष्ठ सेवानिवृत्त आईएएस बीकेएस रे ने बताया कि ई-गवर्नेंस जनता के हित के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह पूरी तरह जनता को समर्पित है। यदि इसे लागू करने में राज्य सरकार पिछड़ रहा है, तो कहीं न कहीं लोगों को परेशानी होगी। अभी भी सरकार केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश को दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ लागू कर सकती है। आम जनता को अनुभव होना चाहिए कि सरकार उनके लिए काम कर रही है। आज के समय में ई-सुविधाओं पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। इसका लाभ आम जनता भी आसानी से उठा सकती है।
ऐसे तैयार हुई रिपोर्ट रिपोर्ट में राज्यों द्वारा उनके एकीकृत सेवा वितरण पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराई गई ई-सेवाओं का विवरण को शामिल किया गया है। इसके साथ एनईएसडीए ढांचे में शामिल किए गए तीन नए अतिरिक्त मूल्यांकन मापदंडों अर्थात मुक्त सरकारी डेटा, ई-भागीदारी और उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की स्थिति को भी शामिल किया गया है।
अनिवार्य सेवा में स्थिति बेहतर पूरे देश में 2016 में से 1599 अनिवार्य ई-सेवाएं लागू हैं। इनमें से 59 अनिवार्य सेवाओं के डेटा का विश्लेषण भी रिपोर्ट में किया गया है। छत्तीसगढ़ में 55 सेवाएं लागू है। इसमें उत्तराखंड और मध्यप्रदेश ही 59 अनिवार्य सेवाओं को दे रहा है। जबकि इस मामले में छत्तीसगढ़ देश में 10वें नम्बर पर है। उनके साथ देश के पांच के अन्य राज्य भी शामिल हैं, जो 55 अनिवार्य सेवाएं दे रहे हैं।