Bharatmala Project Scam: मुआवजा हड़पने वालों पर शिकंजा
किसानों और भूस्वामी का कहना है कि परियोजना के शुरू होने की जानकारी मिलते ही जमीन दलालों ने एग्रीमेंट कर कम कीमतों में जमीन खरीदी। इसका भुगतान भी नहीं किया।
अधिग्रहण के बाद मुआवजा राशि में मिलने पर बकाया देने का वायदा किया लेकिन, आज तक उन्हें कुछ नहीं दिया गया। फर्जी तरीके से कई लोगों के नाम पर एक ही जमीन के टुकड़े किए गए। जबकि उक्त लोगों का इस क्षेत्र से कोई वास्ता नहीं है।
बता दें कि ईओडब्ल्यू ने करोड़ों रुपए के
भारतमाला परियोजना घोटाले में गत 25 अप्रैल को 20 ठिकानों पर छापे मारे थे। इस प्रकरण में जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, केदार तिवारी उसकी पत्नी उमा तिवारी और विजय जैन को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
जमीन दलाल से लेकर पटवारी व आरआई तक की भूमिका संदिग्ध
भारतमाला के इस घोटाले में जमीन दलाल से लेकर पटवारी और आरआई की भूमिका संदिग्ध मिली है। रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे के निर्देश पर रायपुर और धमतरी एडिशनल कलेक्टर की अगुवाई में गठित 4 टीम को पीड़ितों से पूछताछ के दौरान इसकी जानकारी मिली है। इसे टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट में लिपिबद्ध किया जा रहा है। सभी 150 शिकायती दावा-आपत्तियों की सुनवाई करने के बाद इसका निराकरण किया जाएगा। बता दें कि
भारतमाला मुआवजा घोटाले की वास्तविकता की जांच कर उसका निराकरण करने के लिए जमीनी स्तर पर जाकर टीम सभी का बयान ले रही है।
कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों व कंस्ट्रक्शन संचालकों के करोड़ रुपए अटके
भारतमाला परियोजना घोटाले में मुआवजा के लिए सैकड़ों भूस्वामी और किसान के बाद अब सड़क निर्माण में वाहन और संसाधन उपलब्ध कराने वाले कारोबारी अपने बिल के भुगतान के लिए कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं। उनका करोड़ों का भुगतान लखनऊ की शालीमार कार्प लिमिटेड के संचालक द्वारा पिछले कई महीने से नहीं किया गया है। इसके चलते कारोबारी आंदोलन करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसे लेकर 15 दिन पहले
कारोबारियों ने अभनपुर स्थित कंपनी के दतर में धरना देकर बकाया रकम देने की मांग की। लेकिन, कंपनी के स्थानीय अधिकारियों ने कोई सहयोग नहीं किया। इसके चलते कारोबारियों ने सामान की आपूर्ति के साथ ही वाहन और संसाधनों और सामान की आपूर्ति करने से साफ मना कर दिया है।
बता दें कि कारोबारियों ने अभनपुर से ग्राम राजपुर तक 43 किमी के निर्माण के लिए कंपनी को हजारों टन सीमेंट, रेती, गिट्टी, डस्ट और वाहन के साथ ही अन्य सामान उपलब्ध कराया। करोड़ों रुपए का बिल मिलते ही कंपनी ने हाथ खींचना शुरू कर दिया।