दरअसल, केरल की सियासत में कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल की अहम भूमिका है। सांसद शशि थरूर इस बात को जानते भी है। यही वजह है कि कुछ महीने पहले थरूर ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिलकर केरल में नेतृत्व को लेकर स्पष्टता की मांग की थी। इसकी वजह वेणुगोपाल के मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की महत्वकांक्षा थी। अब तक कांग्रेस नेतृत्व ने केरल चुनाव को दूर बताते हुए इस पर कोई फैसला नहीं किया। इससे थरूर ने अपना असंतोष अलग तरह से दिखाना शुरू कर दिया। पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ और अब आपातकाल के बहाने इंदिरा गांधी और संजय गांधी पर निशाना साध दिया। इस मामले में कांग्रेस की केरल इकाई के नेताओं ने विरोध जताते हुए यहां तक कह दिया कि थरूर को तय करना चाहिए कि उन्हें कांग्रेस में रहना है या नहीं।
थरूर को सहानुभूति का नहीं देना चाहती मौका
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि थरूर ने कई मौकों पर कांग्रेस की नीति के खिलाफ बयान और लेखों में अपनी बातें कही है। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर थरूर को लेकर किसी भी नेता ने टिप्पणी नहीं की। सूत्रों ने दावा किया कि थरूर यदि खुद भाजपा में जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। पार्टी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। थरूर का हाल गुलाम नबी आजाद जैसा हो सकता है। कार्रवाई से बागी नेताओं को सहानुभूति का मौका मिल जाता है।