दरअसल, मिजोरम में जल्द ही बैराबी, हॉरटॉकी, कॉनपुई, मुआलखांग और सैरांग शहर रेल सेवा से जुडऩे वाले हैं। सैरांग शहर की मिजोरम की राजधानी आइजोल से करीब 20 किलोमीटर दूरी है। गौरतलब है कि इससे पहले नॉर्थ ईस्ट के तीन प्रदेशों में रेल सेवा का विस्तार हो चुका है। जहां असम के गुवाहाटी समेत कई शहरों में रेल सेवा है। वहीं अरूणाचल प्रदेश का ईटानगर और त्रिपुरा का आइजोल तक भी ट्रेनों का संचालन हो रहा है। अब मिजोरम की इस क्लब में शामिल होने वाला नॉर्थ ईस्ट का चौथा प्रदेश होगा। रेल सेवा से मिजोरम के जुडऩा केवल भौगोलिक दूरी को कम नहीं करेगा, बल्कि रणनीतिक रूप से सिलीगुड़ी कॉरिडोर से आगे जाते हुए विकास की नई राह बनाएगा।
पांच हजार करोड़ रुपए की लागत का प्रोजेक्ट
आइजोल तक रेल लाइन पहुंचाने के लिए बैराबी-सैरांग रेलवे प्रोजेक्ट है। जिसकी लंबाई करीब 51.38 किलोमीटर और लागत लगभग 5,021 करोड़ रुपए है। यह लाइन असम के सिल्चर सीमा के पास स्थित बैराबी से शुरू होती है, जो सैरांग तक जा रही है। यह रेललाइन लूशाई पहाडिय़ों से होकर गुजरती है, जो भूस्खलन और ज़मीन हिलने वाले इलाके यानी सिस्मिक ज़ोन में शामिल है।
प्रोजेक्ट की खास बातें
-48 सुरंगें -55 बड़े पुल -87 छोटे पुल – 5 रोड ओवर ब्रिज -6 रोड अंडर ब्रिज -सिंगल लाइन पटरी -बिना बिजली वाली रेललाइन -सबसे खास-ब्रिज नंबर 196 इसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर ज़्यादा ऊंचा है।
इस लाइन का लाभ
-मिजोरम और असम के बीच 3 से 4 घंटे तक सफर कम होगा -जरूरत पडऩे पर सेना को तेज़ी से तैनात करने में भी मदद करेगा -पर्यटन को बढ़ावा -नए स्टेशनों के आसपास रोजगार बढ़ेगा -रणनीतिक रूप से अहम पूर्वोत्तर क्षेत्र को मजबूती मिलेगी