जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। अपने पत्र में उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और चिकित्सकीय सलाह मानना अब अनिवार्य हो गया है।” उनके इस्तीफे ने न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है, बल्कि विपक्षी दलों ने इसके पीछे अन्य कारणों की अटकलें भी लगाई हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “यह पूरी तरह अप्रत्याशित है, और मामला सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं लगता।”
अगला उपराष्ट्रपति कौन?
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अगले उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। एक भाजपा नेता के अनुसार, “पार्टी एक ठोस और निर्विवाद व्यक्ति को चुनेगी जो राज्यसभा को प्रभावी ढंग से संचालित कर सके।” जनता दल (यूनाइटेड) के हरिवंश नारायण सिंह का नाम भी संभावित उम्मीदवारों में लिया जा रहा है, जो वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं और धनखड़ की अनुपस्थिति में सभापति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
उपराष्ट्रपति का चयन कैसे होता है?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा (543 सदस्य) और राज्यसभा (245 सदस्य, जिसमें 12 मनोनीत सदस्य शामिल हैं) के सभी सदस्य वोट डालते हैं। यह प्रक्रिया इन चरणों में होती है: - योग्यता: उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए, जिसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो और वह राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने की सभी योग्यताएं पूरी करता हो। उम्मीदवार को 15,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है, जो 1/6 वोट न मिलने पर जब्त हो जाती है।
- नामांकन और जांच: नामांकन पत्र दाखिल किए जाते हैं, जिनकी जांच के बाद वैध उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाती है।
- मतदान प्रक्रिया: उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत Single Transferable Vote के माध्यम से होता है। प्रत्येक सांसद एक वोट देता है और मतपत्र पर उम्मीदवारों को प्राथमिकता के आधार पर 1, 2, 3 आदि के क्रम में रैंक देता है। उदाहरण के लिए, यदि तीन उम्मीदवार A, B और C हैं, तो मतदाता A को 1, B को 2 और C को 3 दे सकता है।
- कोटा और मतगणना: विजेता का निर्धारण कोटा सिस्टम से होता है। कुल वोटों की संख्या को 2 से भाग दिया जाता है और 1 जोड़ा जाता है। सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटाकर उनकी दूसरी प्राथमिकता के वोट अन्य उम्मीदवारों में स्थानांतरित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा हासिल न कर ले।
- समयसीमा: संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद की रिक्ति (इस्तीफा, निधन या निष्कासन के कारण) होने पर 60 दिनों के भीतर नया चुनाव कराना आवश्यक है। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति 5 वर्ष का पूरा कार्यकाल पूरा करेगा, न कि पिछले उपराष्ट्रपति का शेष कार्यकाल।
उपसभापति अस्थायी रूप से संभाल रहे पद
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह अस्थायी रूप से सभापति की जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक यह व्यवस्था रहेगी।
विपक्ष उठा रहा सवाल
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, जिसके कारण नीतीश कुमार जैसे नामों की चर्चा जोरों पर है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश इस दौड़ में नहीं हैं। विपक्षी नेताओं, जैसे कपिल सिब्बल और इमरान मसूद, ने इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं, खासकर यह देखते हुए कि धनखड़ पूरे दिन संसद में सक्रिय थे। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने धनखड़ के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद करते हुए उनके स्वास्थ्य की कामना की।