कटनी. जो जितनी शिक्षा प्राप्त करेगा वह उतना ही अधिकारों के लिए लड़ेगा, शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पियेगा उतना तो दहाड़ेगा, कया कारण है कि आज पुत्र वृद्धावस्था में अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज रहे हैं, आसपड़ोस और अनजानों का अभिवादन करते हैं और माता-पिता को प्रणाम तक नहीं करते, क्या यही हमारी संस्कृति है…। यह बातें राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी ने कटनी प्रवास के दौरान कहीं। भारतीय मानवाधिकार संगठन के संयोजन में बस स्टैंड स्थित ऑडिटोरियम में महिला सशक्तिकरण व जागरूकता को लेकर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। इस दौरान महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों, कानूनी सुरक्षा, तथा विवाह पूर्व परामर्श के महत्व की जानकारी देना, हर महिला को हिंसा और भेदभाव से मुक्त जीवन, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य, शिक्षा, संपत्ति का अधिकार, समान वेतन और मतदान जैसे मूल अधिकारों को जानना और उसका उपयोग करने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन के एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग चंद्रवंशी, विशिष्ट अतिथि महापौर प्रीति सूरी, अशोक विश्वकर्मा जिला पंचायत उपाध्यक्ष , राष्ट्रीय कल्याण सचिव डॉ. अजय चौधरी, चंद्रकला विश्वकर्मा, सम्भागीय अध्यक्ष राजेश तिवारी, जिला अध्यक्ष शरद विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।
राष्ट्रीय सदस्य ममता कुमारी ने कटनी पहुंचने से पहले मैहर में विराजीं मां शारदा के दर्शन किए। उन्होंने मैहर व कटनी की पुण्यभूमि को नमन किया। उन्होंने वन स्टॉप सेंटर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने यहां की व्यवस्थाओं को सराहा। प्रधानमंत्री व भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में वन स्टॉप सेंटर है। यह देश के प्रत्येक जिले में सेंटर है। रात के अंधेरे व दिन उजाले में यदि महिला को प्रताडऩा मिलती है तो वे अपने आप को वहां पहुंचकर सुरक्षा पा सकती हैं और न्याय की मांग कर सकती हैं।
80 प्रतिशत मामलों में हो रही घरेलू हिंसा
सामाजिक जिम्मेदारी के सफर में देखा व झेला है, समाज की बेटियों के साथ देखतीं हूं कि उससे पाया है कि आयोग में जितने भी मामले आते हैं, 80 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा के हैं। कई मामले रूह कंपा देतें हैं। शादी के कई साल बाद बच्चा होने के बाद दहेज का लालच पालते हैं, बेटियों को नहीं रखते। पत्नी, सास-ससुर को अयोग्य बताकर पत्नी को त्याग देते हैं। गंभीर चिंतन के बाद आयोग ने यह तय किया कि एक ऐसे सेल की आवश्कता है जहां पर बैठकर यह तय किया जा सके कि, शादी किससे करें, क्यों करें, शादी क्या है, किसके लिए करें, जहां पर उन बातों का विचार हो।
महिलाओं के साथ हो रही बेरहमी
उन्होंने शादी को कहा कि एक ऐसा बंधन है, जैसे वाहन में दो पहिया है और यदि एक पंचर हो जाए तो वाहन नहीं चलता, ऐसे ही पति-पत्नी का जीवन होना चाहिए। जितनी भी आप लंबी उड़ान भरना चाहते हैं, उसमें जीवन साथी का साथ जरूरी है। जब मैं बेटियों को बिलखते हुए देखती हंू, महिलाओं को रोते हुए देखती हूं। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, आइएएस, आइपीएस सहित बड़े ओहदे में हैं और लाखों रुपए कमा रहीं हैं, इसके बाद भी दोनों का माइंड सेट नहीं हो रहा, उनके साथ बेरहमी हो रही है। आखिर महिला इतनी कमजोर क्यों है। एक महिला 18 से 20 घंटे तक काम करती है, जंगल से लकड़ी काटकर लाती है, मवेशियों की देखभाल करती है, बच्चों की परिवरिश करती है, पति की सेवा करती है, एक मशीन की तरह काम करने के बाद इसके बाद भी वह प्रताडि़त है। ऐसे मामले आत्मा का झंकझोर देते हैं।
सदस्य ने कहा कि जो बेटी पिता को अपने जीवन का आधर, भाई को रीढ़ की हड्डी समझती है, वहीं महिला आखिर प्रताडि़त क्यों हैं? आयोग ने ऐसा तय किया कि जहां पर बेटियां अपनी शादी का फैसला खुद लें। आजादी के 80 साल आने वाले हैं, अब ऐसा नहीं है कि जिसके साथ बांध दें, और हम बंध जाएं और मवेशी की तरह जीवन हो जाए। अब माइंड सेट प्रोग्राम आयोग द्वारा शुरू किया गया है। इसका नाम दिया गया है ‘तेरे-मेरे सपने’ केंद्र। यहां युवक-युवती बैठकर अपना जीवन कैसे चलाएंगे, क्या काम करेंगे आदि विषयों पर काउंसलिंग होगी। अपने घर में मायके से ससुराल जाने के क्रम में पुराने सपनों को छोडकऱ नया सपने की उड़ान भरने के लिए एक बंधन में बंध जाती है और पूरा सपना वहां ढाल देती है। शादी के पहले इस सेंटर में बुलाकर काउंसलिंग होगी। एक साल तक का वक्त दिया जाएगा। इस सेंटर में एक दूसरे को समझेंगे, विचारों का आदान-प्रदान होगा, व्यवहार का पता चलेगा। जब सही से समझ लेंगे तो फिर बंधन में बंधेंगे। एक बेहतर परिवार व समाज का निर्माण होगा, इससे बेहतर राष्ट्र बनेगा। सुंदर राष्ट्र बनाने का सपना आयोग बुनने जा रहा है। 2047 को विश्व गुरु बनने का सपना इस माइंड सेट प्रोग्राम के साथ पूरा होगा। सदस्य ने कहा कि पति-पत्नी और एक बच्चे का परिवार नहीं होता। उसमें दादा-दादी, चाचा-चाची, भैया-भाभी सभी सदस्य जब मिलते हैं तब संयुक्त परिवार होता है। हमें अपने इतिहास को जानना होगा, संस्कृति व संस्कार को जानना होगा व उनको बचाना होगा।
वन स्टाप सेंटर का निरीक्षण
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित वन स्टॉप सेंटर का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने वन स्टॉप सेंटर के संचालन, महिलाओं के लिए उपलब्ध सुविधाओं, कर्मचारियों की उपलब्धता, दस्तावेज संधारण, परामर्श की गुणवत्ता एवं अनुवर्तन की बारीकी से समीक्षा की। सेंटर के बेहतर संचालन के लिए आश्रय प्राप्त महिलाओं के लिए रचनात्मक गतिविधियों के आयोजन, साहित्य, खेल आदि सुविधाओं की उपलब्धता एवं बच्चों के लिए प्ले एरिया बनाने का सुझाव दिया। सेंटर में वृक्षारोपण भी किया गया। इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रतिभा पाण्डेय, वनश्री कुर्वेती सहायक संचालक मौजूद रहीं।
ममता कुमारी ने राष्ट्रीय महिला आयोग के इतिहास, स्वरूप, कार्य और दायित्वों के बारे में बताया।
कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है कि महिलाएं और पुरुष समान रूप से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें।
बालक और बालिकाओं को एक समान महत्व देने, उन्हे शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के समान अवसर देने पर दिया जोर।
बचपन से ही बच्चों को संस्कारित करने के महत्व पर चर्चा की चर्चा, महिलाओं के संविधानिक अधिकारों, सरकार के प्रावधानों का किया उल्लेख।
प्रत्येक जिले में कार्यान्वयन समिति एवं कार्यकारिणी गठन की तय की गई जिम्मेदारी।
एक महिला ने घरेलू हिंसा को लेकर की शिकायत, सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों का दिए जांच कार्रवाई के निर्देश।
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