योजना से रखा वंचित
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी अधिवक्ता योगेश सोनी द्वारा प्रस्तुत याचिका में यह भी बताया गया कि विदेश मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में शुरू की गई डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) योजना का उद्देश्य देश के दूरदराज जिलों तक पासपोर्ट सुविधाओं का विस्तार करना था, इसके बावजूद कटनी जैसे शहरी और विकासशील जिले को इस योजना से अब तक वंचित रखा गया है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने पहले भी 5 मार्च 25 को विदेश मंत्रालय एवं डाक विभाग को इस संबंध में एक अभ्यावेदन सौंपा था, जिसमें उन्होंने छात्रों, महिलाओं, बुजुर्गों और श्रमिक वर्ग की कठिनाइयों को रेखांकित किया था। इसके साथ ही खजुराहो संसदीय क्षेत्र के सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने भी 30 जनवरी 24 को विदेश मंत्री को पत्र लिखकर कटनी और पन्ना में पासपोर्ट सेवा केंद्र की स्थापना की मांग की थी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद न तो कोई सकारात्मक उत्तर मिला और न ही कोई कार्रवाई की गई, जिसके बाद यह मामला अब न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। याचिकाकर्ता का तर्क है कि कटनी को लगातार योजना से बाहर रखना प्रशासनिक उदासीनता का परिचायक है और इससे आम जनता के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
पत्रिका द्वारा गम्भीरता से उठाया गया मुद्दा
इस मामले को लेकर पत्रिका कई दिनों से मुद्दा उठा रहा है। 29 नवम्बर 24 के अंक में ‘शहर में नहीं पासपोर्ट की सुविधा, लगाने पड़ रहे जबलपुर और सतना के चक्कर’ नामक शीर्षक सहित अन्य शीर्षक से खबर प्रकाशित की हैं। पासपोर्ट बनवाने के लिए जिले के लोगों को हो रही परेशानी को उजागर किया गया। बता दी कि कटनी में पासपोर्ट के लिए संबंधित विभाग को कई माह पहले पत्राचार किया गया, लेकिन जिम्मेदारों ने अबतक तवज्जो नहीं दिया।