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कटनी

बच्चों की पुकार: स्कूलों में बैठने के लिए छत तो मुहैया करा दो सरकार!, तस्वीरें कर देंगी हैरान

587 से अधिक स्कूल भवन खंडहर में तब्दील, जर्जर छतों के नीचे पढऩे को मजबूर बच्चे

कटनीJul 15, 2025 / 09:10 pm

balmeek pandey

Big problem in Katni schools

Big problem in Katni schools

बालमीक पांडेय @ कटनी. मम्मी-पापा, स्कूल की छत टूट रही है, पानी टपक रहा है, प्लाटर गिर रहा है, डर लगता है पढऩे जाने में…। यह पुकार है उन नन्हे व बड़े बच्चों की, जो पढऩे की चाह में जर्जर भवनों में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं। जिले में 587 शासकीय स्कूल भवन खंडहर जैसी स्थिति में पहुंच चुके हैं, लेकिन न शासन जाग रहा है ना जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की आंख खुल रही हैं। जिले के अनेक स्कूलों की छतें टपकती हैं, दीवारों में दरारें हैं, खिडक़ी-दरवाजे टूटे हैं और कुछ स्कूलों की छतें इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि हल्की बारिश या हवा में गिरने का खतरा बना रहता है। बच्चे डरे-सहमे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन किसी के पास कोई ठोस समाधान नहीं। शहर मुख्यालय सहित बड़वारा, रीठी, बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा जैसे ब्लॉकों के कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक खुद बच्चों को असुरक्षित स्थल में पढ़ा रहे हैं, क्योंकि वे छत के नीचे बैठाना ही सुरक्षित नहीं मानते। कई स्कूलों में बारिश के समय पानी भर जाता है।
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 587 स्कूल भवन ऐसे हैं जो जर्जर श्रेणी में दर्ज हैं, लेकिन अब तक न तो मरम्मत हुई, ना ही नए भवन स्वीकृत हुए। हर साल करोड़ों रुपए का बजट आ रहा हैं, उसका बंदरबांट हो रहा है, लेकिन ठीक से मरम्मत नहीं। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और विभागीय उदासीनता ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। पत्रिका ने सोमवार को इसकी पड़ताल की तो चौकाने वाली स्थिति सामने आई।
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बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

सेवानिवृत्त शिक्षक पुरषोत्तम गौतम का कहना है कि इन हालातों में बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता तो प्रभावित हो ही रही है, साथ ही उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खतरे में है। अभिभावक रोज डर के साए में बच्चों को स्कूल भेजते हैं।

बच्चों की है गुहार…

स्कूलों के बच्चों की पुकार है कि छत तो दो सरकार!, क्योंकि शिक्षकों ने भी कई बार जिला शिक्षा अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को प्रस्ताव भेजे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। सवाल यह है कि क्या किसी हादसे का इंतजार किया जा रहा है? क्या तब जागेगा सिस्टम जब किसी बच्चे पर छत गिर जाएगी? सरकार की योजनाएं और घोषणाएं कागजों पर शानदार दिखती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि स्कूलों में छत तक सुरक्षित नहीं है। यह केवल भवनों की जर्जरता की बात नहीं है, यह बच्चों के भविष्य, उनकी जान और उनकी पढ़ाई के अधिकार का सवाल है।
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बजट आने के बाद भी बेरवाही

अक्टूबर माह में शिक्षा विभाग को 50 लाख रुपए मरम्मत कराने के लिए मिले थे, लेकिन गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। ठीक से मरम्मत नहीं कराया गया। इसके अलावा अप्रेल माह में एक बार फिर शिक्षा विभाग को 50 लाख रुपए स्कूलों की मरम्मत के लिए मिले हैं, लेकिन चार माह में शिक्षा विभाग प्रस्ताव तक नहीं तैयार कर पाया। जिला शिक्षा अधिकारी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे।

इन स्कूलों में नहीं हैं स्वयं के भवन

जिले में 18 हाई व हॉयर सेकंडरी स्कूल ऐसे हैं जिनमें खुद के भवन नहीं हैं। जुगाड़ की बिल्डिंग व अतिरिक्त कक्ष से काम चलाया जा रहा है। जो हैं वे जर्जर हैं। इनमें कटनी के सिविल लाइन स्कूल, कुलुआ बडख़ेरा, पठरा, देवराखुर्द, बहोरीबंद का डिहुटा, खम्हरिया, विगढ़ का रजरवारा नंबर-1, चपना, सुरमा, खलवारा बाजार, बड़वारा का लुरमी, लुहरवारा, बिचपुरा, कुआं बड़वारा, रीठी का वसुधा, ढीमरखेड़ा का पिंडरई, पौनिया, बिचुआ शामिल है।
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बगैर भौतिक सत्यापन बना दिया प्रस्ताव

जिले के 22 हाइ व हॉयर सेकंडरी स्कूल ऐसे हैं, जिनकी मरम्मत के लिए प्रस्ताव आए हैं, लेकिन बीइओ ने बगैर भौतिक सत्यापन व चेकलिस्ट के भेज दिए गए हैं। इनमें हाइस्कूल चाका, उमावि वेंकटवार्ड, कैलवारा कलां, कुलुआ बडख़ेरा, पहाडी निवार भदौरा नंबर-1, खितौली, कन्या हाइस्कूल खितौली उत्कृष्ट विजयराघवगढ़, उमावि बरहटा, हाइस्कूल रजरवारा, उमावि भैसवाही, हाइस्कूल पोड़ीकलां बी, उमरयिापान, कटरिया, धरवारा, पिपरिया, झिर्री, सिलौडी, उमरियापान, मुरवारी, रीठी आदि शामिल हैं।
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फैक्ट फाइल

  • 1986 हैं जिले में सभी शासकीय स्कूल
  • 1278 हैं जिलेभर में प्राथमिक स्कूल
  • 532 हैं जिले में माध्यमिक स्कूल
  • 92 हाइ व 84 हैं हॉयर सेकंडरी स्कूल
  • 146611 जिलेभर में पढ़ रहे हैं बच्चे
  • 3347 शिक्षकों की जिलेभर में है कमी
  • 91 जिले के स्कूल ऐसे बारिश के कारण लग रहे अलग
यह है जिले में दर्ज संख्या
कक्षा सरकारी प्राइवेट
एक 9602 7208
दूसरी 7680 7324
तीसरी 12400 6987
चौथी 12946 6564
पांचवीं 16403 7391
छठवीं 12555 7155
सातवीं 15565 6787
आठवीं 15469 6632
नौवमी 17445 4330
दसवीं 9957 4293
ग्यारवीं 8367 2261

बारहवीं 8222 3434

यह है तीन वर्षों में बच्चों की स्थति
वर्ष सरकारी प्राइवेट
2024-25 146611 70766
2023-24 171746 77121
2022-23 181094 75749

बुनियादी सुविधाओं का अभाव

सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का बेहद अभाव है। 80 फीसदी स्कूलों में गर्मी से बचने के लिए पंखे या अन्य उपाय नहीं हैं। स्कूलों में शुद्ध पेयजल, शौचालय और खेल के मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी हुई है। एक कक्ष में दो-तीन कक्षाएं भवन व शिक्षकों की कमी के कारण लगती हैं। इसी प्रकार फर्नीचर की सुविधा न होसे बच्चे जमीन में बैठकर पढऩे को विवश हैं।
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ऐसे समझें देश के भविष्य की पीड़ा

केस 01
अधिक बारिश होने पर दूसरे कक्षा में बैठती हैं बेटियां

यह तस्वीर है शहर के गणेश चौक स्थिति शासकीय स्कूल का जहां पर माध्यमिक स्कूल सुबह की शिफ्ट में व दोपहर 12 बजे से हॉयर सेकंडरी की कक्षाएं लग रही हैं। यहां पर कम से कम 20 कमरे चाहिए, हैं, लेकिन यहां पर सिर्फ 9 कक्ष हैं। इनमें से ऊपर के तीनों कमरों की छत टपक रही है। नीचे के चारों कमरे खंडहर हैं, जिनमें बारिश की टपकती बूंदों के बीच 374 बेटियां अध्ययन करने को विवश हैं। ऊपर की बिल्डिंग जब ज्यादा टपकने लगती है, तब कक्षाएं नीचे शिफ्ट कर दी जाती हैं। यह हालात कई वर्षों से हैं, लेकिन न तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सरोकार है और ना ही जनप्रतिनिधियों को।

केस-02
स्कूल खंडहर, कार्यालयों में कक्षाएं

स्कूल की क्लास में सीपेज का नजारा बरगवां स्कूल का है। पुरानी बिल्डिंग खंडहर हो गई है, छप्पर लटक रहा है। खतरे के बीच बच्चे दिनभर रहते हैं। यहां पर भवन न होने के कारण दो शिफ्ट में पहले में 7.30 से 12 तक माध्यमिक व दूसरी शिफ्ट में 12 से 5 तक प्राथमिक स्कूल लग रहा है। दोनों शिफ्ट में 279 बच्चे पढ़ रहे हैं। कमरों की कमी के कारण पूर्व बीइओ, बीआरसी के कक्ष में कक्षाएं लग रही हैं। प्राथमिक स्कूल की प्रभारी सरोज जाटव, माध्यमिक की कृष्णा गुप्ता के अनुसार पूर्व में कई बार प्रस्ताव गए हैं, लेकिन नया भवन अबतक नहीं बन रहा। समस्याओं के बीच बच्चों को शिक्षा देनी पड़ रही है।

केस-04
धौरेशर की खराब है स्थिति

ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा के मंदिरों की हालत खराब है। ढीमरखेड़ा विकासखंड के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला धौरेशर में बच्चों की दर्ज संख्या 17 है। स्कूल में बरसात के दिनों में ज्यादा समस्या होती है। बारिश में कमरों में पानी टपकता हैं। स्कूल की छत से छपाई टूटकर बच्चों और शिक्षकों के ऊपर गिर रही, बरसात होने पर बच्चों को बैठने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा।

केस-04
कमरो में जाने में डर रहे बच्चे

बहोरीबंद विकासखण्ड मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर स्थित ग्राम सिन्दूरसी के शासकीय प्राथमिक शाला कक्षों में छतों से पानी टपक रहा है। यहां बना अतिरिक्त कक्ष ऐसी स्थिति में है कि प्राथमिक शाला के बच्चे तो दूर शिक्षक भी कक्ष के अंदर जाने से डरते हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक 80 बच्चे अध्यनरत हैं। बच्चों ने बेबाकी से अपने विद्यालय की दुर्दशा को खुद बयां किया और कैमरे के सामने आकर जिन स्थानों से पानी टपक रहा है उन स्थानों को खुद दिखाया। प्राथमिक शिक्षक रश्मि रजक ने बताया शाला परिसर में बने अतिरिक्त कक्ष की स्थिति ऐसी है कि वहां कक्षाएं लगाने में डर लगता है। कक्षों में बारिश का पानी टपक रहा है।

जिले में यह है प्राथमिक व मिडिल स्कूलों के हाल


ब्लॉक जर्जर स्कूल गिराने योग्य शिफ्ट स्कूल
कटनी 20 04 05
रीठी 55 34 31
विगढ़ 124 29 07
बड़वारा 182 25 08
बहोरीबंद 127 19 29

ढीमरखेड़ा 39 20 11

योग 547 131 91

जिला शिक्षा अधिकारी का यह है कथन
पीपी सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी कहा कहना है कि पूर्व में आए बजट पर स्कूलों की मरम्मत हुई थी। अप्रेल में जो बजट आया है, बीइओ से प्रस्ताव मंगाए गए थे, सही नहीं भेजा है तो भौतिक सत्यापन के लिए टीम का गठन किया गया है। शीघ्र ही प्रक्रिया पूरी कर मरम्मत कराई जाएगी। 102 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की मरम्मत के लिए जारी हुआ है, उनपर भी काम कराया जाएगा।

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