गुरुजी नहीं है भाई तो कैसे होगी पढ़ाई
जिले में एक शास्त्री महाविद्यालय, 5 वरिष्ठ उपाध्याय, 8 उच्च प्राथमिक और 9 प्राथमिक स्तर के संस्कृत विद्यालय संचालित हो रहे है। इनमें कई विद्यालयों में एक भी संस्कृत शिक्षक कार्यरत नहीं है। राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय पोकरण, उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय छायण, बोरली की ढाणी, बावरलों की ढाणी, खूमसिंहनगर, प्राथमिक संस्कृत विद्यालय भीलों मुसलमानों की ढाणी, रातडिय़ा, औंकारङ्क्षसह की ढाणी जैसे ग्रामीण विद्यालयों में तो संस्कृत विषय के शिक्षक ही कार्यरत नहीं है। चार विद्यालय पूरी तरह शिक्षकविहीन है, जिनमें शिक्षण कार्य प्रतिनियुक्तियों के भरोसे चल रहा है।नहीं बढ़ रहा नामांकन
विभाग की ओर से प्रवेशोत्सव के तहत नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षकों को लक्ष्य दिए गए है, लेकिन संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते नामांकन में निरंतर गिरावट आ रही है। संस्कृत विद्यालयों की स्थिति को सुधारने को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी भी बनी, लेकिन सिफारिशें अभी तक लागू नहीं हो पाई। गत बजट में सरकार ने मंडल व्यवस्था लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन उसकी भी क्रियान्विित अभी तक नहीं हुई है।आंदोलन की चेतावनी
जिले में रिक्त पदों के कारण शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है और संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। यदि सरकार पदों पर शीघ्र नियुक्तियां नहीं करती है तो आगामी संस्कृत दिवस के मौके पर संगठन विरोध प्रदर्शन करेगा।- अमरसिंह तंवर, जिलाध्यक्ष राजस्थान संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक संघ, जैसलमेर
शिक्षकों की कमी
प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी है। नई भर्ती सरकार की ओर से निकाली गई है। भर्ती के बाद शिक्षकों के मिलने की उम्मीद है। तब यहां नए शिक्षक लगाए जाएंगे। जहां नामांकन ज्यादा है, वहां अन्य संकूलों से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर लगाकर शिक्षण करवाया जा रहा है।- राजेन्द्रप्रसाद शर्मा, संभागीय संस्कृत शिक्षाधिकारी, जोधपुर