मैयामई प्राथमिक विद्यालय: अव्यवस्था का अड्डा
निरीक्षण की शुरुआत प्राथमिक विद्यालय मैयामई से हुई, जहां सहायक अध्यापक आकांक्षा यादव लगातार 9 और 10 जुलाई को विद्यालय से अनुपस्थित पाई गईं। इससे भी गंभीर बात यह रही कि विद्यालय में शिक्षामित्र विनीता कुमारी भी बिना किसी सूचना के अनुपस्थित थीं। निरीक्षण के समय स्कूल की स्थिति अत्यंत खराब पाई गई। - विद्यालय में समय सारिणी नहीं बनाई गई थी।
- कक्षाओं का कोई स्पष्ट आवंटन नहीं किया गया था।
- छात्र स्कूल ड्रेस में नहीं थे, जिससे यह प्रतीत होता है कि अनुशासन और प्रबंधन का पूर्णतः अभाव है।
- विद्यालय की इस स्थिति ने बीएसए को यह कहने पर विवश कर दिया कि शिक्षा की गुणवत्ता से कहीं अधिक समस्या शिक्षकों की उदासीनता है।
नगला पोहपी उच्च प्राथमिक विद्यालय: उपेक्षा की स्थिति
उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला पोहपी में भी शिक्षिका कविता यादव निरीक्षण के समय अनुपस्थित मिलीं। यह भी पाया गया कि छात्रों को स्कूल ड्रेस नहीं दी गई थी या उन्होंने नहीं पहनी थी, जिससे विद्यालय प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई। इसके अतिरिक्त, कंपोजिट स्कूल ग्रांट, जो हर वर्ष विद्यालय के भौतिक संसाधनों के विकास हेतु प्राप्त होती है, उसका कोई व्यय विवरण विद्यालय की दीवार पर अंकित नहीं था, जबकि शासनादेश के अनुसार यह अत्यंत अनिवार्य है।
कंपोजिट विद्यालय लभौआ: संसाधनों का दुरुपयोग
कंपोजिट विद्यालय लभौआ की स्थिति भी कम चिंताजनक नहीं रही। यहां सहायक अध्यापक सुनयना यादव अनुपस्थित पाई गईं। छात्रों की ड्रेस की स्थिति अन्य विद्यालयों जैसी ही रही अनुपस्थित। सबसे गंभीर मामला यह सामने आया कि विद्यालय को शासन द्वारा दिया गया टैबलेट, जो छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने और शैक्षिक सूचनाओं की फीडिंग के लिए दिया गया था, प्रधानाध्यापक ने अपने घर पर रख लिया था। यह न केवल कदाचार की श्रेणी में आता है, बल्कि शासन द्वारा प्राप्त संसाधनों के दुरुपयोग का भी प्रमाण है।
प्रशासन की सख्ती और आदेश
निरीक्षण के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि तीनों विद्यालयों के समस्त शिक्षकों का एक दिन का वेतन रोका जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोहराव की स्थिति में गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बीएसए ने पत्रकारों से कहा कि “शासन द्वारा जो सुविधाएं, संसाधन और वेतन दिया जा रहा है, उसके अनुरूप शिक्षकों का समर्पण दिखाई नहीं दे रहा है। ये निरीक्षण आगे भी जारी रहेंगे और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।” शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव
- इन विद्यालयों में पाए गए अनियमितताओं ने शिक्षा की गिरती गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- बिना शिक्षकों के समय पर उपस्थिति के छात्र कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं?
- जब विद्यालयों में ड्रेस, समय-सारिणी और संसाधनों का अभाव हो, तो बच्चों के समग्र विकास की बात कैसे की जा सकती है?
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शिक्षकों की जवाबदेही तय न की गई, तो सरकार की “सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा” की परिकल्पना अधूरी ही रह जाएगी।
बीएसए ने कहा कि प्रत्येक विद्यालय का माह में दो बार औचक निरीक्षण किया जाएगा। सभी प्रधानाध्यापकों को संसाधनों के सही उपयोग और रिकॉर्ड के संधारण हेतु स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे। ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उपस्थिति मॉनिटरिंग को अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक न केवल ज्ञान देता है, बल्कि आदर्श, अनुशासन और चरित्र निर्माण की नींव भी रखता है। ऐसे में शिक्षकों की अनुपस्थिति या लापरवाही केवल शैक्षणिक हानि ही नहीं, बल्कि नैतिक विफलता भी है।