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Bullet Train के दौड़ने की तारीख आ रही नजदीक, गाड़ा एक और झंडा

Bullet Train : मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से शिलफाटा के बीच बन रही 21 किमी लंबी सुरंग।

भारतJul 15, 2025 / 10:15 am

Ashish Deep

मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 200 मीटर लंबा ‘मेक इन इंडिया’ स्टील ब्रिज बना है। (Patrika)

Mumbai- Ahmedabad Bullet Train परियोजना में बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसमें सुरंग का एक हिस्से का काम कामयाबी के साथ पूरा हो गया है। यह सक्सेस इसलिए भी बड़ी है क्योंकि 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में कुछ हिस्सा समुद्र के नीचे से पास हो रहा है। इसमें 7 किलोमीटर का हिस्सा समुद्र के नीचे से गुजर रहा है।

कब तक चलेगी मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन

देश की यह अपनी तरह की पहली परियोजना है, जो मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ेगी और समुद्र के नीचे से बुलेट ट्रेन गुजरेगी। इस ट्रेन के 2026 तक चलने की उम्मीद है। शुरुआत में सूरत से बिलिमोरा सेक्शन तक इस चलाया जाएगा। मुंबई से अहमदाबाद के बीच इसके 2028 तक दौड़ने की उम्मीद है।

2.7 किमी टनल का निर्माण पूरा

मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से शिलफाटा के बीच बन रही 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में उसके एक छोर का निर्माण पूरा कर लिया गया है, जिसका दायरा 2.7 किलोमीटर का है। यह उपलब्धि सुरंग निर्माण के तकनीकी और प्रबंधन पक्ष के लिए एक अहम पड़ाव मानी जा रही है।

16 किलोमीटर हिस्सा Tunnel Boring Machine के जरिए तैयार

इस सुरंग में दो हिस्सों में काम किया जा रहा है। शिलफाटा से घनसोली के बीच लगभग 5 किलोमीटर लंबा भाग New Austrian Tunnelling Method (NATM) से बनाया जा रहा है, जबकि बाकी 16 किलोमीटर हिस्सा Tunnel Boring Machine (TBM) के जरिए तैयार होगा। इस सुरंग में लगभग 7 किलोमीटर का एक अंडरसी खंड भी शामिल है, जो ठाणे क्रीक के नीचे से होकर गुजरेगा।

घनसोली और शिलफाटा की तरफ एक साथ खुदाई हो रही

NATM तकनीक के तहत काम को तेज करने के लिए एक Additionally Driven Intermediate Tunnel (ADIT) भी तैयार की गई है, जिससे दोनों दिशाओं घनसोली और शिलफाटा की तरफ एक साथ खुदाई हो सके। अब तक शिलफाटा दिशा की ओर से लगभग 1.62 किलोमीटर सुरंग खुदाई पूरी हो चुकी है और NATM सेक्शन में कुल प्रगति लगभग 4.3 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है।

बायोमैट्रिक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम अपना रहा रेलवे

परियोजना स्थल पर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर्स, पाइजोमीटर, इंक्लिनोमीटर, स्ट्रेन गेजेस और बायोमैट्रिक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम जैसी आधुनिक निगरानी व्यवस्थाएं स्थापित की गई हैं, जिससे सुरंग निर्माण के दौरान आसपास की इमारतों पर दरार न पड़े और काम आराम से पूरा हो जाए।

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