पिछले कुछ सालों के दौरान पंजाब में धर्म ग्रंथों और धार्मिक संस्थानों की बेअदबी का मामला सामने आया है। इसी के मद्देनजर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने सदन में चर्चा के लिए ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक 2025’ (Punjab Prevention of Offences Against Holy Scriptures Bill 2025) चर्चा के लिए सोमवार को विधानसभा में पेश किया था और उसे आज सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
Punishment for Anti Sacrilege Bill in 2025: हालांकि विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि पार्टी नेताओं को प्रस्तावित कानून पर अपने विचार प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए तैयारी का समय चाहिए। इसके बाद अध्यक्ष ने विधेयक पर चर्चा मंगलवार के लिए स्थगित कर दी।
किसे माना जाएगा अपराध?
What is offence of Anti Sacrilege ? : इस विधेयक के तहत अपराध के अंतर्गत किसी भी पवित्र ग्रंथ या उसके किसी भाग का अपवित्रीकरण, क्षति, विनाश, विरूपण, विकृतीकरण, अपघटित करना, जलाना, तोड़ना या फाड़ना शामिल किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय होंगे तथा उन पर सत्र न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाया जाएगा। इस अपराध की जांच पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे के पुलिस अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी।
आजीवन जेल के साथ 20 लाख रुपये तक का जुर्माना
यह बताया जा रहा है कि प्रस्तावित कानून में गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद्गीता, बाइबिल और कुरान सहित पवित्र ग्रंथों के अपमान के लिए कठोर सजा, आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। विधेयक में प्रस्ताव है कि बेअदबी का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है। इसके साथ ही साथ दोषी को ₹5 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। धर्म ग्रंथों को अपमानित करने के अपराध का प्रयास करने वालों को तीन से पांच साल की जेल की सजा हो सकती है और उन्हें 3 लाख रुपये तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
दंगे भड़कने या किसी की मौत पर 20 लाख का जुर्माना
Punishment For Anti Sacrilege activities? विधेयक में यह प्रस्ताव किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के धर्म ग्रंथों या धार्मिक संस्थाओं के अपमान से सांप्रदायिक दंगे भड़कता है या उसे किसी मानव जीवन की हानि होती है या सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो अपराधियों को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है। इसके साथ ही ₹10-20 लाख का जुर्माना भी हो सकता है। अधिकतम सजा पाने वाले या जुर्माना न चुकाने वालों के लिए पैरोल या फर्लो का कोई प्रावधान नहीं है।
अकाली और भाजपा गठबंधन सरकार ने की थी ये सिफारिश
वर्ष 2016 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 और सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक 2016 प्रस्तावित किया था जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब के खिलाफ अपवित्र कृत्यों के लिए आजीवन कारावास की सजा की सिफारिश की गई थी। केंद्र ने यह कहते हुए विधेयक को मंजूरी देने से मना कर दिया कि संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान… के लिए ये सिफारिश
वर्ष 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने दो विधेयक पारित किए – भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2018′ और ‘दंड प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018’, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल को क्षति पहुंचाने या अपवित्र करने पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया। हालांकि दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली।
पांच साल में 100 से ज्यादा बेअदबी की घटना घटी
पंजाब की खुफिया विभाग के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में बेअदबी की 100 से ज़्यादा घटनाएँ सामने आई हैं। हालांकि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराएं 298, 299 और 300 ऐसे मुद्दों को संबोधित करती हैं लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। यही वजह है कि ‘पवित्र ग्रंथों’ के विरुद्ध अपराधों को सीधे संबोधित करने वाला कानून नहीं होने से अक्सर दोषियों के खिलाफ नरमी बरतनी पड़ती है या गंभीर कार्रवाई नहीं हो पाती है।