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बालोद

Sunday Guest Editor: फोकस किया खेल पर तो इंडियन फुटबॉल टीम में मिली जगह…

Sunday Guest Editor: फुटबॉल खिलाड़ी किरण पिस्दा कहती हैं कि जब आप किसी भी काम को फोकस होकर करते हो तो आपको उसका परिणाम बेहतर ही मिलता है।

बालोदJul 13, 2025 / 01:42 pm

Shradha Jaiswal

Sunday Guest Editor: फोकस किया खेल पर तो इंडियन फुटबॉल टीम में मिली जगह.(photo-patrika)

Sunday Guest Editor: फोकस किया खेल पर तो इंडियन फुटबॉल टीम में मिली जगह.(photo-patrika)

Sunday Guest Editor: सरिता दुबे. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से अपने खेल की शुरुआत करने वाली 23 साल की फुटबॉल खिलाड़ी किरण पिस्दा कहती हैं कि जब आप किसी भी काम को फोकस होकर करते हो तो आपको उसका परिणाम बेहतर ही मिलता है। डिफेंडर किरण कहती हैं कि पहले तो मुझे खेलने के लिए मैदान भी नहीं मिलता था। कई बार तो मेरी फुटबॉल ही पंचर हो जाती थी, फिर भी मैंने अपने खेल को जारी रखा, क्योंकि मुझे इंडियन टीम में जगह बनानी थी।

Sunday Guest Editor: 23 साल बाद क्वालीफाई

भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने 23 साल बाद एशिया महिला फुटबॉल कप के लिए क्वालीफाई किया है और इस टीम में छत्तीसगढ़ से किरण का चयन हुआ है। छत्तीसगढ़ फुटबॉल संघ का भी यह मानना है कि फुटबॉलर किरण पिस्दा का एशिया कप में खेलना तय है।
भारतीय टीम ने थाईलैंड में आयोजित एशिया कप क्वालीफाई टूर्नामेंट में सभी मैच जीतकर एशिया महिला फुटबॉल कप 2026 के लिए क्वालीफाई किया है। किरण बताती हैं कि अब साल 2026 में ऑस्ट्रेलिया जाना है। वहां खेलना है। किरण कहती हैं कि खेल पर हमेशा फोकस रही और रोजाना सुबह 1 घंटा और शाम को 2 घंटा खेलती हूं। खेल और पढ़ाई का संतुलन कैसे बनाती हैं सवाल पर किरण कहती हैं कि खेल ही मानसिक संतुलन बनाता है और पढ़ाई करने में मददगार होता है।
किरण पिस्दा

सोच: किसी भी काम के लिए लगन होना जरूरी है, सफलता तभी मिलती है।

खेल विभाग ने किया सम्मान

एशिया कप क्वालीफाई टूर्नामेंट खेलकर रायपुर लौटने पर किरण पिस्दा का खेल विभाग की ओर से सम्मान किया गया। खेल संचालक तनुजा सलाम ने किरण का सम्मान किया और बधाई दी। किरण रायपुर में संचालित बालिका फुटबॉल अकादमी की खिलाड़ियों से मिली और उनकी हौसला अफजाई की। किरण ने खेल अकादमी में वर्ष 2019 से 2024 तक प्रशिक्षण हासिल किया है।

भाई खेलता था, इसलिए फुटबॉल खेलने लगी

किरण बताती हैं कि मैं शुरू से ही खेल में मेडल जीतती रही, लेकिन फुटबॉल खेलने का शौक भाई के कारण आया। वो फुटबॉल खेलता था, फिर कक्षा 6वीं में मैंने भी फुटबॉल खेलना शुरू किया। शुरू में तो फुटबॉल खेलने के लिए मैदान ही नहीं मिलता था। बहुत परेशानी होती थी, लेकिन मैंने खेलना बंद नहीं किया। कोच का भी साथ मिला और मेरा खेल निखरता गया।

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