मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर
रिसर्च में पाया गया कि स्मार्टफोन के कारण बच्चे कम उम्र से ही सोशल मीडिया चलाने लगते हैं, जिससे साइबरबुलिंग, नींद में खलल और परिवार से रिश्तों में दूरी जैसे जोखिम बढ़ते हैं। अमेरिका की सैपियन लैब्स की संस्थापक और वैज्ञानिक डॉ. तारा थियागराजन ने बताया कि डेटा से पता चलता है कि कम उम्र में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल युवावस्था में मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
बच्चों में नहीं दिखते डिप्रेशन और चिंता के लक्षण
डॉ. तारा ने भविष्य की पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि इन बच्चों में डिप्रेशन और चिंता के लक्षण नहीं दिखते, इसलिए सामान्य जांच में ये समस्याएं पकड़ में नहीं आतीं। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि शराब और तंबाकू की तरह स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर भी 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पाबंदी लगाई जाए। साथ ही डिजिटल साक्षरता अनिवार्य करने और कॉर्पोरेट जवाबदेही सुनिश्चित करने की बात कही।
आत्महत्या के विचार में इजाफा
5 या 6 वर्ष की आयु में स्मार्टफोन पाने वालों ने 18-24 वर्ष उम्र वर्ग में पहुंचने पर 48% युवतियों ने आत्मघाती विचार रिपोर्ट किए। वहीँ 13 वर्ष की आयु में फोन पाने वाली महिलाओं में यह संख्या 28% थी।