जांच में सामने आया है कि ब्वॉयलर ट्यूब में लीकेज के कारण उत्पादन बाधित हुआ है। यह कोई पहली बार नहीं है जब यह यूनिट बंद हुई हो। बीते 11 महीनों से यह यूनिट बंद पड़ी थी, जिसे हाल ही में शुरू किया गया था। दो दिन की कार्यशीलता के बाद यह फिर बंद हो गई। कुछ दिनों तक चलने के बाद अब एक बार फिर ब्वॉयलर ट्यूब लीकेज ने उत्पादन पर ब्रेक लगा दिया है। ताप विद्युत केंद्र के मुख्य अभियंता एच.के. त्रिपाठी का कहना है कि यूनिट को फिर से चालू करने में तीन दिन का समय लग सकता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस यूनिट को 11 महीने के बाद चालू किया गया, वह दो दिन में कैसे बंद हो गई। क्या इतने लंबे अंतराल के बावजूद मरम्मत और निरीक्षण ठीक से नहीं किया गया था। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रबंधन ने तकनीकी परीक्षण, रख-रखाव और गुणवत्ता नियंत्रण को गंभीरता से नहीं लिया।
ब्वॉयलर ट्यूब में बार-बार लीकेज कोई सामान्य तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि सिस्टमेटिक फेल्योर (व्यवस्थागत विफलता) का परिणाम है। यह स्थिति भविष्य में और गंभीर संकट का कारण बन सकती है। यूनिट बंद होने के चलते प्रतिदिन लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। बिजली उत्पादन रुकने से न केवल राजस्व प्रभावित हो रहा है। बल्कि सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है। वहीं क्षेत्रीय स्तर पर बिजली आपूर्ति बाधित होने की संभावना भी बनी हुई है।