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जिला अस्पताल में आया, ओटी अटेंडेंट, चतुर्थ श्रेणी के 60 प्रतिशत पद खाली

मरीज-डॉक्टर परेशान, देखरेख व इलाज पर पड़ रहा असर सागर. जिला अस्पताल में मरीजों और डॉक्टरों की मदद के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की लंबे समय से भर्तियां नहीं हुईं हैं और इनकी बेहद कमी बनी हुई है। आया, वार्डबॉय, ओटी अटेंडेंट सहित चतुर्थ श्रेणी के रेगुलर व संविदा के पद खाली पड़े हुए हैं। […]

सागरJul 15, 2025 / 10:42 pm

नितिन सदाफल

जिला अस्पताल 

जिला अस्पताल 

मरीज-डॉक्टर परेशान, देखरेख व इलाज पर पड़ रहा असर

सागर. जिला अस्पताल में मरीजों और डॉक्टरों की मदद के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की लंबे समय से भर्तियां नहीं हुईं हैं और इनकी बेहद कमी बनी हुई है। आया, वार्डबॉय, ओटी अटेंडेंट सहित चतुर्थ श्रेणी के रेगुलर व संविदा के पद खाली पड़े हुए हैं। सबसे ज्यादा समस्या वार्डबॉय की आ रही है, जहां स्वीकृत वार्डबॉय के कुल पद में से 60 प्रतिशत पद खाली हैं।
ऐसे में परेशानी मरीज, मरीज के परिजन और डॉक्टरों को हो रही है। कैजुअल्टी वार्ड में आने वाले एक्सीडेंटल केसों में परिजन ही मरीजों को संभालते दिख रहे हैं वहीं वार्डों में भी समस्या बनी हुई है। अस्पताल में ओटी अटेंडेंट के 9 के 9 और चतुर्थ श्रेणी में संविदा के 16 के 16 पद खाली हैं। प्रसूताओं की मदद के 14 में से मात्र 6 आया ही हैं, जिनके अवकाश पर जाने से स्थितियां बिगड़ जाती हैं।

ओटी, भर्ती वार्ड और कैजुअल्टी में समस्या

जिला अस्पताल के 6 वार्डों में 200 से अधिक मरीज भर्ती हैं, हर दिन 350 से अधिक ओपीडी होती है। जिलेभर में होने वाले एक्सीडेंट के सीरियस केस भी यहां पहुंचते हैं मरीजों को संभालने वार्डबॉय नहीं रहते। प्रसूता वार्ड में हर दिन करीब 10-15 प्रसव होते हैं लेकिन यहां आया का अभाव है। ऑपरेशन थियेटर में ओटी अटेंडेंस न होने से ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों को असुविधा होती है। हाल में डॉक्टरों की भर्ती तो कर ली गई लेकिन अभी भी मेडिकल ऑफिसर के 12 तो क्लास वन के 14 पद खाली हैं।

परिजन खुद धकेल रहे स्ट्रेचर

कैजुअल्टी वार्ड में इमरजेंसी केस के मरीज को संभालने कुछ वार्डबॉय हैं लेकिन नाइट ड्यूटी या वार्डबॉय के अवकाश पर यहां स्थितियां बदल जाती हैं। परिजनों को स्वयं मरीज को स्ट्रेचर धकेलते हुए देखा जाता है। प्रसूता वार्ड और कैजुअल्टी के दोनों गेट पर हर समय करीब 4-4 वार्डबॉय की आवश्यकता होती है, लेकिन मौजूद 1 या 2 ही होते हैं। डॉक्टर के पास मरीज को पहुंचाने के बाद जब बात जांच की आती है तब भी परिजन ही स्ट्रेचर पर मरीज को ले जाते हैं।

भर्ती मरीजों को जांच के लिए भेजने में पेरशानी

6 वार्डों में भर्ती मरीजों को जब भी डॉक्टर सोनोग्राफी, एक्सरे और अन्य जांचों के लिए भेजते हैं तो वार्डबॉय की खोज शुरू हो जाती है। कभी-कभी वार्ड से भी मरीज के परिजनों को स्ट्रेचर पर जांच के लिए ले जाना पड़ता है। परिजनों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी परेशानियां हो रही हैं। हर दिन भर्ती मरीजों की 40-50 जांचें होती हैं।
-वीडियो कॉन्फ्रेंस में यह मामला आया था, जल्द ही भोपाल स्तर से भर्तियां करने की बात कही गई है। कैजुअल्टी वार्ड में वार्डबॉय की ड्यूटी रहती है लेकिन कभी-कभी स्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि परिजनों को स्ट्रेचर धकेलना पड़ता है।
डॉ. अभिषेक ठाकुर, आरएमओ जिला अस्पताल।

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