ओटी, भर्ती वार्ड और कैजुअल्टी में समस्या
जिला अस्पताल के 6 वार्डों में 200 से अधिक मरीज भर्ती हैं, हर दिन 350 से अधिक ओपीडी होती है। जिलेभर में होने वाले एक्सीडेंट के सीरियस केस भी यहां पहुंचते हैं मरीजों को संभालने वार्डबॉय नहीं रहते। प्रसूता वार्ड में हर दिन करीब 10-15 प्रसव होते हैं लेकिन यहां आया का अभाव है। ऑपरेशन थियेटर में ओटी अटेंडेंस न होने से ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों को असुविधा होती है। हाल में डॉक्टरों की भर्ती तो कर ली गई लेकिन अभी भी मेडिकल ऑफिसर के 12 तो क्लास वन के 14 पद खाली हैं।परिजन खुद धकेल रहे स्ट्रेचर
कैजुअल्टी वार्ड में इमरजेंसी केस के मरीज को संभालने कुछ वार्डबॉय हैं लेकिन नाइट ड्यूटी या वार्डबॉय के अवकाश पर यहां स्थितियां बदल जाती हैं। परिजनों को स्वयं मरीज को स्ट्रेचर धकेलते हुए देखा जाता है। प्रसूता वार्ड और कैजुअल्टी के दोनों गेट पर हर समय करीब 4-4 वार्डबॉय की आवश्यकता होती है, लेकिन मौजूद 1 या 2 ही होते हैं। डॉक्टर के पास मरीज को पहुंचाने के बाद जब बात जांच की आती है तब भी परिजन ही स्ट्रेचर पर मरीज को ले जाते हैं।भर्ती मरीजों को जांच के लिए भेजने में पेरशानी
6 वार्डों में भर्ती मरीजों को जब भी डॉक्टर सोनोग्राफी, एक्सरे और अन्य जांचों के लिए भेजते हैं तो वार्डबॉय की खोज शुरू हो जाती है। कभी-कभी वार्ड से भी मरीज के परिजनों को स्ट्रेचर पर जांच के लिए ले जाना पड़ता है। परिजनों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी परेशानियां हो रही हैं। हर दिन भर्ती मरीजों की 40-50 जांचें होती हैं।डॉ. अभिषेक ठाकुर, आरएमओ जिला अस्पताल।