scriptLahsun Pyaj In Sawan: सावन में प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? इसका जवाब प्रेमानंद महाराज से जानिए | Lahsun Pyaj In Sawan Why not eat onion and garlic Know answer from Premanand Maharaj | Patrika News
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Lahsun Pyaj In Sawan: सावन में प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? इसका जवाब प्रेमानंद महाराज से जानिए

Lahsun Pyaj In Sawan: सावन का महीना आते ही पूरा वातावरण भक्ति, संयम और पवित्रता से भर जाता है, लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न होता है कि ‘सावन में लहसुन और प्याज खाना चाहिए या नहीं?’ हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने तामसिक भोजन पर एक महत्वपूर्ण बात कही।

भारतJul 15, 2025 / 12:19 pm

MEGHA ROY

Sawan mein lahsun pyaj kyon nahi khate फोटो सोर्स – Freepik

Sawan mein lahsun pyaj kyon nahi khate
फोटो सोर्स – Freepik

Lahsun Pyaj In Sawan: सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। यह समय होता है शिवभक्ति, साधना और संयम का। भक्त इस माह में व्रत रखते हैं, सात्त्विक भोजन करते हैं और भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं। लेकिन सावन आते ही एक सवाल बहुतों के मन में उठता है कि क्या इस दौरान लहसुन और प्याज खाना वर्जित है? अगर हां, तो क्यों?
इस सवाल का सीधा और सरल जवाब दिया है वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने, जिनके प्रवचन और व्यवहारिक ज्ञान ने लाखों लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में उन्होंने इस जिज्ञासा को शांत किया और इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण समझाया। आइए जानते हैं उनकी बताई गई बातों को, आखिर क्यों लहसुन-प्याज नहीं खाना चाहिए।

सावन में क्यों विशेष रूप से वर्जित है?

सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है, जब भक्त केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक शुद्धता की ओर बढ़ते हैं। यही कारण है कि इस दौरान सात्त्विक भोजन पर जोर दिया जाता है, जिसमें लहसुन-प्याज जैसे तमोगुणी पदार्थों के लिए कोई स्थान नहीं।

क्या लहसुन-प्याज खाना पाप है?

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक भक्त प्रेमानंद जी से पूछता है, “क्या हमें लहसुन और प्याज खाना चाहिए?” इस पर महाराज मुस्कुराते हुए उत्तर देते हैं, “लहसुन और प्याज उसी मिट्टी में उगते हैं, जिसमें आलू उगता है, लेकिन बात स्वाद की नहीं, उनके गुणों की है।”
महाराज बताते हैं कि लहसुन और प्याज में ‘तमोगुण’ अधिक मात्रा में होता है। यह तमोगुण व्यक्ति में क्रोध, आलस्य, मोह और काम जैसी भावनाएं बढ़ाता है, जो किसी भी आध्यात्मिक साधना में बाधक बनती हैं। इसलिए वे कहते हैं कि जो लोग भगवत मार्ग, साधना, व्रत या भागवत पाठ जैसे नियमों का पालन कर रहे हैं, उन्हें इन तामसिक चीज़ों से दूर रहना चाहिए।

औषधि के रूप में है मान्यता

प्रेमानंद महाराज ने यह भी बताया कि यदि आप लहसुन-प्याज को औषधीय दृष्टिकोण से ले रहे हैं, तो उसका सीमित मात्रा में सेवन किया जा सकता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य लाभ होना चाहिए, स्वाद या आदत नहीं।

स्वाद नहीं, भाव की बात है

महाराज ने वृंदावन का सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ राधारानी और ठाकुरजी को बिना लहसुन-प्याज का अत्यंत स्वादिष्ट भोजन भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि स्वाद लहसुन-प्याज पर निर्भर नहीं करता, बल्कि भोजन में प्रेम, शुद्धता और भाव मुख्य होते हैं।

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