हर राउंड में रजिस्ट्रेशन कराने का फायदा ये होगा कि कई छात्र अच्छे कॉलेज की चाह में पंजीयन नहीं कराते। कई बार उन्हें एम्स, बीएचयू में एडमिशन की चाह होती है या ऑल इंडिया कोेटे से एडमिशन की संभावना होती है। ऐसे छात्र अब दूसरे राउंड में पंजीयन कर च्वाइस फिलिंग भी कर सकेंगे। चूंकि उनका नीट स्कोर अच्छा होगा तो
एमबीबीएस की सीट मिलनी भी तय है। दो साल पहले एक छात्रा ने अच्छे स्कोर के बावजूद आनली बीडीएस लिख दिया था। ऐसे में उनका एक साल बर्बाद हो गया। उन्हें अच्छे स्कोर के आधार पर एमबीबीएस की सीट मिल जाती, लेकिन दोबारा रजिस्ट्रेशन की सुविधा नहीं होने के कारण वह मेडिकल कॉलेज में प्रवेश से वंचित रह गई।
जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें छात्र, नहीं तो प्रवेश से वंचित: काउंसलिंग ऑनलाइन होगी इसलिए दस्तावेजों का सत्यापन एडमिशन के ठीक पहले होगा। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के दौरान कोई भी दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में कई छात्र बेपरवाह हो जाते हैं। छात्रों को नीट स्कोर से लेकर जाति व निवासी प्रमाणपत्र रखना होगा। सीनियर मेडिकल एक्सपर्ट व कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन के अनुसार डीएमई की अधिकृत वेबसाइट पर छात्रों को कौन-कौन से दस्तावेज चाहिए, इसकी जानकारी मिल जाएगी।
छात्रों को हर दस्तावेज संभालकर रखना होगा। मेडिकल सर्टिफिकेट एडमिशन के बाद होता है। इसके लिए कॉलेज की ओर से संबद्ध अस्पतालों में जरूरी व्यवस्था की जाती है। ताकि छात्रों को भटकना न पड़े।
.अब प्रदेश में 2130 नहीं, 1980 सीटों पर एडमिशन रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर होने के बाद प्रदेश में एमबीबीएस की सीटें 2130 से घटकर 1980 पर आ गई है। नए सेशन में अब 10 सरकारी व 5 के बजाए 4 निजी कॉलेजों पर एडमिशन होगा। सभी 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सरकार की अंडरटेकिंग के बाद नए सत्र के लिए सीटों का रिनुअल कर दिया गया है। 4 निजी कॉलेजों की सीटें भी रिनुअल हो गई है। इनमें तीन कॉलेजों ने सीटें 150 से 250 करने के लिए आवेदन भी किया है। श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. देवेंद्र नायक के अनुसार सीटें रिनुअल पहले ही हो चुकी हैं। बढ़ी हुई सीटों की जानकारी अभी एनएमसी ने नहीं दी है।काउंसलिंग शुरू होने के पहले या बाद में बढ़ी हुई सीटों की जानकारी आ सकती है।
प्रदेश में मेडिकल कॉलेज व सीटें
कॉलेज सीटें रायपुर 230 दुर्ग 200 बिलासपुर 150 रायगढ़ 100