क्या है मामला
राज्य सरकार ने जुलाई के पहले सप्ताह में कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को समीपस्थ विद्यालयों के साथ पेयरिंग कर दिया था। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप प्रदेश के 75 जिलों में 10,827 प्राइमरी स्कूल भवन खाली हो गए हैं। स्कूल शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने इन खाली भवनों की सूची बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को भेज दी है। इसके आधार पर विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि इन स्कूल भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को शिफ्ट करने की पूरी कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन किया जाए।शिफ्टिंग प्रक्रिया का समयबद्ध कार्यक्रम

- 1.पहले 15 दिन: सभी खाली स्कूल भवनों का सर्वेक्षण किया जाएगा।
- भवन की स्थिति, पहुंच, संरचना और मौजूदा मूलभूत सुविधाओं का आंकलन होगा।
- 2.अगले 15 दिन: ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अभिभावकों एवं स्थानीय प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की जाएगी।
- समुदाय से सुझाव लेकर उपयुक्त भवनों की पहचान की जाएगी।
- .3तीसरे चरण के 15 दिन: उपयुक्त पाए गए स्कूल भवनों की मरम्मत, रंगाई-पुताई और साज-सज्जा की जाएगी।
- फर्नीचर, स्वच्छ पेयजल, टॉयलेट और किचन सुविधाओं की पूर्ति की जाएगी।
- 4.अंतिम 15 दिन: चयनित भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
सुरक्षा और दूरी का विशेष ध्यान
- सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र को तभी शिफ्ट किया जाएगा जब:
- उसका नया स्कूल भवन 500 मीटर की दूरी के भीतर हो।
- भवन की संरचना सुरक्षित, मजबूत और बच्चों के अनुकूल हो।
- पीने का पानी, शौचालय, रसोईघर जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों।
- यदि कोई विद्यालय भवन इन मानकों पर खरा नहीं उतरता है या वर्तमान में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति बेहतर है, तो वहां शिफ्टिंग नहीं की जाएगी।
स्थानीय स्तर पर समन्वय की व्यवस्था
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी हेतु हर जिले में सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। इसमें शामिल होंगे:- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA)
- जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO)
- खंड शिक्षा अधिकारी (BEO)
- बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO)
- विकास खंड स्तर पर बीईओ और सीडीपीओ संयुक्त रूप से सभी भवनों का निरीक्षण और अनुशंसा करेंगे।
फायदे और अपेक्षित परिणाम
इस कदम से कई स्तरों पर सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद है:- 1.सरकारी संसाधनों का उपयोग: वर्षों से खाली या कम उपयोग वाले विद्यालय भवन अब पुनः शिक्षा और पोषण के केंद्र बन सकेंगे।
- 2.बच्चों के लिए बेहतर वातावरण: आंगनबाड़ी केंद्रों में बेहतर कमरे, सुरक्षा, खेल सामग्री, स्वच्छता और भोजन की व्यवस्था से बच्चों का पोषण और पूर्व-शैक्षिक विकास सुधरेगा।
- 3.समुदाय में विश्वास बढ़ेगा: जब अभिभावकों को लगेगा कि सरकारी सेवाएं उनके नजदीक पहुंच रही हैं, तो उनकी भागीदारी और सहयोग बढ़ेगा।
- 4.महिलाओं को भी लाभ: आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ बच्चों की देखरेख नहीं होती, बल्कि महिलाओं को पोषण, टीकाकरण और स्वास्थ्य परामर्श भी मिलता है। अब ये सुविधाएं और प्रभावी रूप से मिल सकेंगी।
चुनौतियां भी मौजूद
हालांकि योजना प्रभावशाली है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। कुछ स्कूल भवन बहुत पुराने और जर्जर हो सकते हैं, जिन्हें मरम्मत में समय और पैसा लगेगा। प्रशासनिक तालमेल में देरी से समय सीमा प्रभावित हो सकती है।ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर सामुदायिक विरोध भी संभव है, खासकर जहां पहले से अच्छी व्यवस्था है।