वर्ष 2026 प्रयोग का अंतिम साल
प्रदेश में बहुतायात से पाए जाने वाले सामान्य नीम से यह भिन्न है। यह पेड़ अपनी तेज विकास दर और कम रखरखाव के कारण किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जाना जाता है। अगले साल प्रयोग का अंतिम साल है। इसके बाद काजरी इसे किसानों के लिए उपलब्ध करवा देगी। यह प्रयोग काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक डॉ. अर्चना वर्मा कर रही है।थार जलवायु में भी बेहतरीन उत्पादन
मालाबार नीम का चार साल का ट्रायल सफल रहा है। थार की जलवायु में भी इसका बेहतरीन उत्पादन हो रहा है। भविष्य में इसकी किसानों के लिए अनुशंषा की जाएगी।डॉ. धीरज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी जोधपुर
प्लाईवुड-पेपर उद्योग में प्रयोग
राजस्थान में मालाबार नीम नहीं होता है। काजरी ने देहरादून और कोयम्बटूर से करीब 500 मालाबार नीम के पौधे मंगाए। ये आधा फीट लम्बे और इनका तना पांच मिलीमीटर का था। अब यह 20 फीट लम्बा और तना 15 सेंटीमीटर का हो चुका है। इसके तने की मोटाई और बेहतरीन लकड़ी के कारण इसका उपयोग प्लाईवुड इण्डस्ट्री, पेपर इण्डस्ट्री और पैकेजिंग इण्डस्ट्री में होता है।