scriptUnique Shiv Temple: कम होती है बारिश तो पानी से भर देते है महादेव का गर्भगृह, शिवलिंग जलमग्न होने पर होती है अच्छी बारिश | Unique Shiv Temple: For Heavy Rain Solution Is Neelkanth Mahadev Temple Sanctum Sanctorum Filled With Water Till Shivling Submerged | Patrika News
झालावाड़

Unique Shiv Temple: कम होती है बारिश तो पानी से भर देते है महादेव का गर्भगृह, शिवलिंग जलमग्न होने पर होती है अच्छी बारिश

Neelkanth Mahadev Temple: उनके पूर्वज बताते थे कि जब भी क्षेत्र में बारिश की कमी या बारिश नहीं होती है तो भक्तों के द्वारा महादेव के गर्भगृह को पानी से भर देते थे।

झालावाड़Jul 14, 2025 / 01:29 pm

Akshita Deora

नीलकंठ महादेव मंदिर (फोटो: AI जनरेटेड)

Sawan 2025: पचपहाड में पिपलाद नदी के तट पर सदियों पुराना नीलकंठ महादेव मंदिर पर भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र है। मंदिर के बाहर स्थापित शिलालेख पर झालवाड़ राज्य के दूसरे राजा पृथ्वी सिंह झाला का उल्लेख मिलता है।

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इतिहासकार ललित शर्मा के अनुसार शिवालय मंदिर में स्थापित नीलकंठ महोदव का शिवलिंग भूरे-मठमैले रंग का है जो ऊपर से गोलाकार है साथ ही संगमरमर की जलहरी में स्थापित है, जिस पर नाग की आकृति बनी हुई है। मंदिर परिसर में दुर्गा माता का मुख और त्रिशुल स्थापित एक और मंदिर है।
पचपहाड़ निवासी ईश्वर चंद भटनागर, दिलीप श्रंगी व गिरधर गोपाल शर्मा बताते हैं कि यह मंदिर बहुत पुराना है जो पिपलाद नदी के तट पर बना हुआ है। जब भी किसी की तबीयत खराब होती है, तो यहां परिवारजनों के द्वारा महामृत्युंजय मंत्रों का जाप किया जाता है।

अनोखा उपाय

पंडित दीपक जोशी ने बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि जब भी क्षेत्र में बारिश की कमी या बारिश नहीं होती है तो भक्तों के द्वारा महादेव के गर्भगृह को पानी से भर देते थे। महादेव के शिवलिंग को पूरा जलमग्न किया जाता है। आज भी कस्बे के लोगों के द्वारा इस मान्यता को अपनाया जा रहा है।

सावन में किया जाता है आकर्षक श्रृंगार

अरूण पांडे, अध्यापक कालूराम शर्मा ने बताया कि सावन मास में मंदिर में प्रतिदिन भक्तों के द्वारा भजन -कीर्तन किया जाता है साथ ही सावन के सोमवार को विशेष झांकियां बनाई जाती है। सावन माह के अलावा भी शाम को दर्शन और आरती श्रद्धालु आते है। समिति के भक्तों के द्वारा मंदिर में पूरे वर्ष सेवा देते हैं।
shiv mandir
शिव मंदिर (फोटो: पत्रिका)

मनु महाराज के सहयोग से हुआ काम

पचपहाड़ निवासी दिलीप श्रंगी ने बताया कि पचपहाड़ निवासी स्व दुर्गा शंकर नागर जिन्हें मनु महाराज के नाम से जाना जाता है। सेना से सेवानिवृत होने के बाद उन्होने भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा से प्राप्त राशि उन्होने मंदिर निर्माण के लिए लगा दी। लोगों के सहयोग से करीब 45 लाख रुपए कि लागत से मंदिर को भव्य रूप दिया गया।

संतो का समागम रहा

यह प्राचीन मंदिर संतों का समागम का केंद्र रहा है। संत भरजी बासाब ने यहां भक्ति की है, लंबे समय से यहां दत्त अखाड़े से जुडे संत गोपाल भारती, रतन भारती, परमानंद गिरी धार वाले, उज्जैन के स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी द्वारा सत्संग किया गया है।

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