CG News: किसानों की बढ़ी परेशानी
राज्य सरकार ने एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत किसानों के लिए नई डिजिटल व्यवस्था लागू की है। जिसमें धान बिक्री से लेकर सरकारी योजनाओं तक की पात्रता सीधे फार्मर आईडी पंजीयन से जुड़ी होगी। इस व्यवस्था के तहत प्रत्येक पंजीकृत किसान को 11 अंकों की एक यूनिक
डिजिटल पहचान दी जाएगी, जो भविष्य की योजनाओं में आधारभूत दस्तावेज के रूप में कार्य करेगी। लेकिन सर्वर सहित अन्य समस्याओं के चलते समय पर किसानों की आईडी पंजीयन नहीं हो पा रही है।च्वाइस सेंटर से तहसील, वहां से बैंक में आवेदन फॉरवर्ड होने के बाद कृषि विभाग में जाता है।
90 हजार किसानों का ही हुआ पंजीयन
जांजगीर-चांपा जिले की बात करें तो यहां 1 लाख 20 हजार से ज्यादा किसानों में से केवल 90 हजार किसानों ने अब तक पंजीयन कराया है, शेष 30 हजार से ज्यादा किसानों का अब भी पंजीयन होना बाकी है। यदि यह स्थिति बनी रही तो न केवल ये किसान धान विक्रय से वंचित रहेंगे, बल्कि उन्हें पीएम किसान योजना की आगामी किस्त और फसल बीमा के दावों से भी हाथ धोना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि पंजीयन कराने में कई तरह की तकनीकी बाधा सामने आ रही है। ज्वाइंट खाता होने पर पोर्टल में पंजीयन का ऑप्सन नहीं आ रहा।
आधार कार्ड में नाम और खातों में स्पेलिंग मिस्टेक में भी पंजीयन बाधा बन रही है। बड़ी दिक्कत 2022 के बाद डाटा का अपडेट होने से भी सीएचसी ऑपरेटर जब किसान के आईडी एवं खसरा नंबर डाल रहे हैं तो 2022 के बाद हुए संशोधन में यह नहीं दिख रहा है।
एग्रीस्टेक पोर्टल में किसानों को पंजीयन कराना अनिवार्य किया गया है। पंजीकृत किसान ही समर्थन मूल्य पर धान बिक्री कर पाएंगे। जिले में 90 हजार किसानों का पंजीयन भी हो गया है। 30 हजार किसान ही शेष होंगे जिन्हें भी समय पर पंजीयन कराने कहा जा रहा है। किसान समितियों व सीएससी में जाकर पंजीयन करा सकते हैं।
30 अगस्त तक है पंजीयन कराने की अंतिम तिथि
सरकार की ओर से 30 अगस्त तक पंजीयन की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। इसके लिए किसान अपने नजदीकी लोक सेवा केंद्र, प्राथमिक सहकारी समिति या स्वयं एग्रीस्टेक पोर्टल के माध्यम से पंजीयन कर सकते हैं। इससे योजनाओं में दोहराव और फर्जीवाड़े की रोकथाम, फसल, भूमि, बीमा और ऋण का समग्र
डिजिटल रिकॉर्ड तथा सरकारी सहायता में पारदर्शिता और त्वरित वितरण हो पाएगा।