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जांजगीर चंपा

सिस्टम की लापरवाही! फरियादी भटकते रह जाते हैं, अधिकारी नदारद… सोमवार को भी दफ्तरों में सुनवाई नहीं

CG News: जांजगीर-चांपा जिले में शनिवार व रविवार को छुट्टी होने के बाद सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को भी जिला मुख्यालय सहित निकाय के अधिकारी दतर में मिलते ही नहीं है।

जांजगीर चंपाJul 22, 2025 / 02:36 pm

Shradha Jaiswal

सिस्टम की लापरवाही! फरियादी भटकते रह जाते हैं, अधिकारी नदारद(photo-unsplash)

सिस्टम की लापरवाही! फरियादी भटकते रह जाते हैं, अधिकारी नदारद(photo-unsplash)

CG News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में शनिवार व रविवार को छुट्टी होने के बाद सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को भी जिला मुख्यालय सहित निकाय के अधिकारी दतर में मिलते ही नहीं है। अधिकारी नहीं होने से कर्मचारी भी बेलगाम हो जाते हैं। दो दिन छुट्टी के बाद काम को लेकर पहुंचे फरियादी अधिकारी का इंतजार करते रहते हैं। इसके बाद बिना काम कराए बैरंग लौट जाते हैं। ऐसे में जिले में सप्ताह में केवल 4 वर्किंग डे माना जा रहा है।

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आखिरकार थक हार फिर लौट जाते हैं बैरंग

सोमवार को सुबह टीएल की बैठक होती है, इसके लिए जनदर्शन के लिए सभी अधिकारी रूक जाते हैं। फिर अधिकांश अधिकारी या अफसर लंच के लिए जाते हैं। इसके बाद आफिस नहीं आते। सोमवार को पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। अधिकारी नहीं मिले, फरियादी भटकते हुए नजर आए। डीईओ ऑफिस पहुंचे, जहां चेबर में अधिकारी नहीं मिले। कर्मचारियों ने पूछने पर बताया कि साहब टीएल बैठक में गए हैं। इधर कर्मचारी गप्पे हांकते मिले। साथ ही कई विभाग में कर्मचारी गायब मिले।
कई अभिभावक बच्चों के रिजल्ट में काउंटर साइन के लिए डीईओ का इंतजार करते रहे। साथ ही कई स्कूल के प्राचार्य भी कुछ काम को पहुंचे, लेकिन बैरंग लौट गए। कृ़षि विभाग दतर में भी अधिकारी नहीं मिले। फिर महिला एवं बाल विकास विभाग का हालत भी कुछ ऐसा ही था। डीपीओ अनिता अग्रवाल दतर में नहीं मिली, कार बाहर खड़ी हुई थी।
कलेक्टोरेट में खनिज, खाद्य विभाग, भू अभिलेख, सांयिकी विभाग में अधिकारी नहीं मिले। यहां अधिकारी नहीं होने से कर्मचारी भी मनमर्जी करने लगे। साथ ही राशन कार्ड सहित अन्य काम को लेकर पहुंचे लोगों को सीधे एक लाइन में बाबू कहते रहे कि साहब टीएल मीटिंग में गए है। 3.30 बजे मीटिंग हुई, इसके बाद इन अधिकांश दतरों में अधिकारी पहुंचे ही नहीं है। आखिरकार थक हारकर लोग बैरंग घर को लौट गए।

टीएल खत्म होने का इंतजार करते है फरियादी

सोमवार को जनदर्शन का आयोजन कलेक्टोरेट सभाकक्ष में किया जाता है। जहां जिले से बड़ी लोग में अपनी समस्या को लेकर पहुंचते है। कई लोग सुबह पहुंच जाते है लेकिन टीएल मीटिंग खत्म होने का इंतजार करते रहते है। कई बार 12 से 1 भी बज जाता है। ऐसे में कई लोग बैरंग लौट जाते है। लोगों की मांग है कि एक दिन जनदर्शन व दूसरे दिन टीएल की बैठक होनी चाहिए। ताकी लोगों को सुविधा का लाभ मिल सके।

इन दतरों में भी नहीं होता कोई काम

सोमवार को कलेक्टोरेट जिले के सभी जनपद सीईओ, नपा व नपं सीएमओ सहित सभी एसडीएम पहुंचते है। ऐसे में शनिवार व रविवार छुट्टी के बाद अधिकांश लोग काम लेकर सोमवार को पहुंचते हैं। यहां पहुंचने पर बाबू लोग भी लोगों को घुमा देते हैं और साहब नहीं होने का बहाना बनाकर कोई काम नहीं करते है। जबकि यहां राशन कार्ड, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, गुमास्ता लाइसेंस, सरपंच लोग कई काम को लेकर पहुंचते है। लेकिन सोमवार को साहब नहीं मिलते, इसलिए काम होता ही नहीं है।

फाइव-डे के बजाए फोर डेज वर्किंग जैसी स्थिति

पिछली सरकार ने सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को राहत देते हुए दतरों में 5 डेज वीक का कांसेप्ट लागू किया है। सोमवार से शुक्रवार तक ही ऑफिस खुलते हैं। संडे के साथ सटरडे की छुट्टी की घोषणा करते हुए ये शर्त रखी कि सभी अधिकारी समय में दतर पहुंचकर कामकाज शुरू कर दें।
आफिस परिसर में सुबह 10 बजे के पहले राष्ट्रगान अनिवार्य किया ताकि उसके बाद सभी सीधे सभी अपनी कुर्सियां संभाल लें। लेकिन जांजगीर-चांपा जिले में 5 डेज वर्किंग के बजाय 4 डेज वर्किंग हो रहा है। साथ ही समय पर बाकी दिन कोई अधिकारी या कर्मचारी दतर नहीं पहुंच रहे हैं।

जनदर्शन व टीएल अलग-अलग दिन हो

पिछले सोमवार को ग्राम हरदी में अतिक्रमण की शिकायत को लेकर ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचे थे। यहां पहुंचकर पता चला कि टीएल की बैठक हो रही है। ऐसे में काफी देर तक इंतजार किए और फिर बिना ज्ञापन दिए वापस लौटना पड़ा। शिवकुमार यादव जिला प्रशासन को चाहिए कि या तो पहले जनदर्शन और इसके बाद टीएल बैठक ली जाए या फिर जनदर्शन और टीएल बैठक अलग-अलग दिन हो, ताकि फरियादियों को परेशानी न हो।

डेढ़ बजे तक कोई अधिकारी नहीं मिले

खाद की कमी की शिकायत को लेकर किसान नेता कमल साव क्षेत्र के किसानों के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे थे। यहां दोपहर डेढ़ बजे तक वे अधिकारियों से मिलने का इंतजार करते रहे लेकिन अधिकारी बैठक में व्यस्त रहे। ऐसे में नारेबाजी कर वापस लौटना पड़ा। हर सोमवार को इस तरह की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता था। पूर्व में पहले जनदर्शन होता था फिर टीएल की बैठक होती है। फिर से जनदर्शन को पहले होना चाहिए।
जांजगीर-चांपा कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने कहा की आमतौर पर जनदर्शन और टीएल की बैठक दोपहर तक संपन्न हो जाती है। इसके बाद अधिकारियों को अपने कार्यालय में जाकर बैठना है। अगर अधिकारी कार्यालय नहीं पहुंच रहे तो गलत है। जानकारी लेकर कार्रवाई करेंगे।

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