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जांजगीर चंपा

CG News: चपरासी के अधीक्षक वाले ठाठ! अनुसूचित जाति बालक आश्रम में हो रही मनमानी, जिम्मेदार बेखबर

CG News: जैजैपुर अंतर्गत अनुसूचित जाति बालक आश्रम तुषार में अधीक्षक की गैरहाजिरी और लापरवाही ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है।

जांजगीर चंपाJul 19, 2025 / 06:27 pm

चंदू निर्मलकर

CG News

तुषार आश्रम में अधीक्षक की मनमानी ( Photo – Patrika )

CG News: अनुसूचित जाति के बच्चों के उत्थान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार अनेक योजनाएं चला रही हो, लेकिन जवाबदेह अफसरों की लापरवाही के चलते योजनाएं दम तोड़ रही है। (CG News ) जैजैपुर अंतर्गत अनुसूचित जाति बालक आश्रम तुषार में अधीक्षक की गैरहाजिरी और लापरवाही ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है।

CG News: पत्रिका ने किया खुलासा

पत्रिका की टीम जब ग्राउंड रिपोर्टिंग में पहुंची और बच्चों से जानकारी ली गई तो अधीक्षक कहां है, तब उन्होंने बताया कि वो कुछ समय के लिए दिन में आते हैं और रात में नहीं रुकते हैं । खुलासा हुआ कि आश्रम अधीक्षक लोकेश बघेल अक्सर आश्रम में अनुपस्थित रहते हैं और आश्रम के संचालन का पूरा दारोमदार केवल एक चपरासी पर छोड़ दिया गया है। आश्रम में 35 से 40 बच्चे रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिन्हें माता-पिता अधीक्षक की देखरेख में छोड़ते हैं, लेकिन अधीक्षक का मनमाना रवैया बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर खतरा बना हुआ है।

घायल बच्चा एक घंटे तक तड़पता रहा

शुक्रवार को आश्रम का एक बच्चा खेलते वक्त गिर गया और उसके सिर में गंभीर चोट आ गई। माथे से खून बहता रहा लेकिन अधीक्षक की गैरमौजूदगी के कारण समय पर उपचार नहीं मिल सका। चपरासी के सामने यह असमंजस की स्थिति बन गई कि वह घायल बच्चे को अस्पताल ले जाए या बाकी बच्चों की देखरेख करे। बताया जा रहा है कि करीब एक घंटे तक बच्चा दर्द से तड़पता रहा और खून बहता रहा।

गांव पास में, इसलिए रात में नहीं रुकते आश्रम में

अधीक्षक लोकेश बघेल का गांव आश्रम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बावजूद वे आश्रम में रुकने के बजाय अपने गांव में ही रहना पसंद करते हैं और जब मन हो तब आश्रम आते हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि आश्रम अधीक्षक को परिसर में ही निवास करना है, ताकि बच्चों की सुरक्षा और व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें, लेकिन यहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, रात में बच्चाें की सुरक्षा चपरासी के भरोसे रहती है।

जिम्मेदार कौन

अब बड़ा सवाल यह है कि बच्चों की जान से जुड़ी लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार कौन है। आश्रमों के संचालन में लापरवाही की यह कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन क्या अब भी प्रशासन आंख मूंदे रहेगा।

युक्तियुक्तकरण के बाद भी मूल पद पर नहीं हुई वापसी…

एक और बड़ा सवाल यह है कि लोकेश बघेल मूलत: एक विद्यालय में शिक्षक है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा युक्तिकरण प्रक्रिया के तहत शिक्षकों को उनके मूल पदस्थापना स्थल पर भेजा गया है। ऐसे में अब भी आश्रम अधीक्षक के रूप में कार्यरत रहना प्रशासन की मंशा और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
अधीक्षक लोकेश बघेल ने कहा कि आश्रम परिसर में मूलभूत सुविधाएं और निस्तारी, शौचालय आदि की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते वे आश्रम में रात्रि निवास नहीं कर पाते।

आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त स्वपनिता सिंह ने कहा कि इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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