Jaipur: राजकीय बौद्धिक दिव्यांग गृह में एक माह में 3 मौत, यूं चला मौत का ग्राफ; जानें क्या बोले जिम्मेदार
Govt Intellectual Disabled Home: बौद्धिक दिव्यांग गृह में अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी तकलीफ मुंह से कह भी नहीं सकते। इनकी रक्षा, इलाज और लालन-पालन समेत प्रत्येक जिम्मेदारी विशेष योग्यजन निदेशालय पर है।
अब्दुल बारी आगरा रोड, जामडोली स्थित राजकीय बौद्धिक दिव्यांग गृह की महिला विंग में बीते एक माह में तीन मौतें हो चुकी हैं। मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि, इनमें से दो मौतें संस्था परिसर में ही हुई हैं, ऐसे में महिला विंग की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लग गया है।
बौद्धिक दिव्यांग गृह में अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी तकलीफ मुंह से कह भी नहीं सकते। इनकी रक्षा, इलाज और लालन-पालन समेत प्रत्येक जिम्मेदारी विशेष योग्यजन निदेशालय पर है। लेकिन हालात यह हैं कि इन मौतों के बावजूद विभाग ने अब तक किसी तरह की जांच करवाने की पहल तक नहीं की।
गौरतलब है कि, बालिका विंग में वर्ष 2024-25 में एक भी बालिका की मृत्यु नहीं हुई थी। नई अधीक्षक को आए दो माह ही हुए हैं। विभागीय अधिकारियों ने भी लंबे समय से यहां का निरीक्षण नहीं किया है।
विभाग बोला- करवाएंगे जांच
मामले को लेकर राजस्थान पत्रिका ने विशेष योग्यजन निदेशालय के आयुक्त केसरलाल मीणा से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बौद्धिक गृह में रहने वाले बच्चे बीमार रहते हैं, इसलिए मौतें हुई हैं। परिसर में मौत होने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जांच करवाएंगे। वहीं, अधीक्षक रूपा वर्मा से भी संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
रक्षा में भी हुई चूक
वहीं 6 जुलाई को एक मूक-बधिर बच्ची बालिका विंग से बाहर निकल गई और परिसर के कपड़ा धुलाई क्षेत्र में चली गई। बताया जा रहा है कि, बच्ची काफी देर उसी क्षेत्र में दो पुरुष कर्मचारियों के बीच रही। रात के समय जब इस मामले का पता चला तो काफी हंगामा भी हुआ। मामले में मुख्यालय ने इस घटनाक्रम का जवाब भी मांगा।
केस -1: 14 जून को गृह परिसर में रहने वाली प्रिया (14) की मृत्यु हो गई। सुबह 6:45 बजे उसे जेके लोन अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसकी पर्ची पर साफ लिखा कि उसे अस्पताल में मृत ही लाया गया।
केस -2: 9 जुलाई को गृह परिसर में ही अनोखी (25) की मृत्यु हो गई। ड्यूटी पर उपस्थित कर्मचारी उसे एसएमएस अस्पताल लेकर गए, लेकिन इससे पूर्व ही उसकी मौत हो चुकी थी।
केस 3: 8 जुलाई को बाल कल्याण समिति के आदेश से 13 वर्षीय परी गर्ग को यहां भेजा गया। आदेश में साफ लिखा था कि बच्ची की मेडिकल जांच करवाई जाए। बताया जा रहा है कि गृह में भर्ती करते समय बच्ची का मेडिकल रिकॉर्ड नहीं लिया गया। ऐसे में दो दिन बाद अचानक उसे दौरे शुरू हो गए। डॉक्टरों ने हिस्ट्री पूछी तब पता चला कि इसकी रूटीन दवाएं चलती थीं जो दो दिन छूट गईं। 12 जुलाई को इसकी भी मौत हो गई।
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